चतुर्मुख पूजा: Difference between revisions
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Latest revision as of 15:50, 12 May 2023
महापुराण/38/26 प्रोक्ता पूजार्हतामिज्या सा चतुर्धा सदार्चनम्। चतुर्मुखमहः कल्पद्रुमाश्चाष्टाह्निकोऽपि च। 26। = पूजा चार प्रकार की है सदार्चन (नित्यमह), चतुर्मुख (सर्वतोभद्र), कल्पद्रुम और अष्टाह्निक।
देखें पूजा - 1.2।