अष्ट मूलगुण: Difference between revisions
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<p>देखें [[ श्रावक#4 | श्रावक - 4]]।</p> | <p> <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:रत्नकरंड श्रावकाचार - श्लोक 66 | रत्नकरंड श्रावकाचार/66]] </span><span class="SanskritText">1. मद्यमांसमधुत्यागै: सहाणुव्रतपंचकम् । अष्टौ मूलगुणानाहुर्गृहिणां श्रमणोत्तमा:।66।</span> =<span class="HindiText">मद्य, मांस और मधु के त्याग सहित पाँचों अणुव्रतों को श्रेष्ठ मुनिराज गृहस्थों के मूलगुण कहते हैं।66। </span></p> | ||
<p> <span class="GRef"> पुरुषार्थ-सिद्ध्युपाय/61 </span><span class="SanskritText">2. मद्यं मांसं क्षौद्रं पंचोदुंबरफलानि यत्नेन। हिंसा व्युपरतिकामैर्मोक्तव्यानि प्रथममेव।61।</span> =<span class="HindiText">हिंसा त्याग की कामना वाले पुरुषों को सबसे पहले शराब, मांस, शहद, ऊमर, कठूमर आदि पंच उदुंबर फलों का त्याग करना योग्य है।61। (पंद्मनन्दि पंचविंशतिका /6/23), <span class="GRef">( सागार धर्मामृत/2/2 )</span>।</span></p> | |||
<p class="HindiText"> अधिक विवरण एवं श्रावक सम्बन्धित विशेष जानकारी हेतु देखें [[ श्रावक#4 | श्रावक - 4]]।</p> | |||
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रत्नकरंड श्रावकाचार/66 1. मद्यमांसमधुत्यागै: सहाणुव्रतपंचकम् । अष्टौ मूलगुणानाहुर्गृहिणां श्रमणोत्तमा:।66। =मद्य, मांस और मधु के त्याग सहित पाँचों अणुव्रतों को श्रेष्ठ मुनिराज गृहस्थों के मूलगुण कहते हैं।66।
पुरुषार्थ-सिद्ध्युपाय/61 2. मद्यं मांसं क्षौद्रं पंचोदुंबरफलानि यत्नेन। हिंसा व्युपरतिकामैर्मोक्तव्यानि प्रथममेव।61। =हिंसा त्याग की कामना वाले पुरुषों को सबसे पहले शराब, मांस, शहद, ऊमर, कठूमर आदि पंच उदुंबर फलों का त्याग करना योग्य है।61। (पंद्मनन्दि पंचविंशतिका /6/23), ( सागार धर्मामृत/2/2 )।
अधिक विवरण एवं श्रावक सम्बन्धित विशेष जानकारी हेतु देखें श्रावक - 4।