आक्षेपिणी: Difference between revisions
From जैनकोष
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
(Imported from text file) |
||
(One intermediate revision by the same user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<div class="HindiText"> <p> कथा का एक भेद । वक्ता अपने मत को स्थापना के लिए दूसरों पर आक्षेप करने वाली या मत-मतांतरों की आलोचना करने वाली कथा कहता है । <span class="GRef"> महापुराण 1.135, 47.275, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 106.92 </span>आख्यान― (1) प्राचीन कालिक किसी राजा आदि की कथा । <span class="GRef"> महापुराण 5.89,46.112-142 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> कथा का एक भेद । वक्ता अपने मत को स्थापना के लिए दूसरों पर आक्षेप करने वाली या मत-मतांतरों की आलोचना करने वाली कथा कहता है । <span class="GRef"> महापुराण 1.135, 47.275, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_106#92|पद्मपुराण - 106.92]] </span>आख्यान― (1) प्राचीन कालिक किसी राजा आदि की कथा । <span class="GRef"> महापुराण 5.89,46.112-142 </span></p> | ||
<p id="2">(2) पदगत गांधर्व की एक विधि । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 19.149 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) पदगत गांधर्व की एक विधि । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_19#149|हरिवंशपुराण - 19.149]] </span></p> | ||
</div> | </div> | ||
Latest revision as of 14:40, 27 November 2023
कथा का एक भेद । वक्ता अपने मत को स्थापना के लिए दूसरों पर आक्षेप करने वाली या मत-मतांतरों की आलोचना करने वाली कथा कहता है । महापुराण 1.135, 47.275, पद्मपुराण - 106.92 आख्यान― (1) प्राचीन कालिक किसी राजा आदि की कथा । महापुराण 5.89,46.112-142
(2) पदगत गांधर्व की एक विधि । हरिवंशपुराण - 19.149