आगमाभास: Difference between revisions
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<span class="GRef">परीक्षामुख 6/51-54/69</span> <p class="SanskritText">रागद्वेषमोहाक्रांतपुरुषवचनाज्जातमागमाभासम्। यथा नद्यास्तीरे मोदकराशयः संति धावध्वं माणवकाः। अंगुल्यग्रहस्तियूथशतमस्ति इति च विसंवादात् ॥51-54॥</p> | |||
<p class="HindiText">= रागी, द्वेषी और अज्ञानी मनुष्यों के वचनों से उत्पन्न हुए आगम को '''आगमाभास''' कहते हैं। जैसे कि बालको दौड़ो नदी के किनारे बहुत-से लड्डू पड़े हुए हैं। ये वचन हैं। और जिस प्रकार यह है कि अंगुली के आगे के हिस्से पर हाथियों के सौ समुदाय हैं। विवाद होने के कारण ये सब आगमाभास हैं। अर्थात् लोग इनमें विवाद करते हैं। इसलिए ये आगम झूठे हैं।</p> | |||
<p class="HindiText"> सच्चे आगम का स्वरूप जानने हेतु देखें [[ आगम#1.2 | आगम - I.2]]।</p> | |||
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== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<div class="HindiText"> <p> अनाप्त पुरुषों के वचन । <span class="GRef"> महापुराण 24.126 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> अनाप्त पुरुषों के वचन । <span class="GRef"> महापुराण 24.126 </span></p> | ||
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Latest revision as of 14:40, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
परीक्षामुख 6/51-54/69
रागद्वेषमोहाक्रांतपुरुषवचनाज्जातमागमाभासम्। यथा नद्यास्तीरे मोदकराशयः संति धावध्वं माणवकाः। अंगुल्यग्रहस्तियूथशतमस्ति इति च विसंवादात् ॥51-54॥
= रागी, द्वेषी और अज्ञानी मनुष्यों के वचनों से उत्पन्न हुए आगम को आगमाभास कहते हैं। जैसे कि बालको दौड़ो नदी के किनारे बहुत-से लड्डू पड़े हुए हैं। ये वचन हैं। और जिस प्रकार यह है कि अंगुली के आगे के हिस्से पर हाथियों के सौ समुदाय हैं। विवाद होने के कारण ये सब आगमाभास हैं। अर्थात् लोग इनमें विवाद करते हैं। इसलिए ये आगम झूठे हैं।
सच्चे आगम का स्वरूप जानने हेतु देखें आगम - I.2।
पुराणकोष से
अनाप्त पुरुषों के वचन । महापुराण 24.126