प्रतिष्ठा: Difference between revisions
From जैनकोष
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
(Imported from text file) |
||
(One intermediate revision by one other user not shown) | |||
Line 13: | Line 13: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<div class="HindiText"> <p> प्रतिष्ठाशास्त्रों में कथित विधि के अनुसार प्रतिमाओं की स्थापना । <span class="GRef"> महापुराण 54.48-49 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> प्रतिष्ठाशास्त्रों में कथित विधि के अनुसार प्रतिमाओं की स्थापना । <span class="GRef"> महापुराण 54.48-49 </span></p> | ||
</div> | </div> | ||
Line 25: | Line 25: | ||
[[Category: प]] | [[Category: प]] | ||
[[Category: द्रव्यानुयोग]] | [[Category: द्रव्यानुयोग]] | ||
[[Category: चरणानुयोग]] |
Latest revision as of 15:15, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
षट्खंडागम 13/5-5/ सू.40/243 धरणी धारणा ट्ठवणा कोट्ठा पदिट्ठा ।40। ... प्रतिष्ठंति विनाशेन बिना अस्यामर्था इति प्रतिष्ठा । = धरणी, धारणा, स्थापना, कोष्ठा और प्रतिष्ठा ये एकार्थ नाम हैं ।40। जिसमें विनाश के बिना पदार्थ प्रतिष्ठित रहते हैं वह बुद्धि प्रतिष्ठा है ।
पुराणकोष से
प्रतिष्ठाशास्त्रों में कथित विधि के अनुसार प्रतिमाओं की स्थापना । महापुराण 54.48-49