कारुण्य: Difference between revisions
From जैनकोष
mNo edit summary |
Jagrti jain (talk | contribs) mNo edit summary |
||
(2 intermediate revisions by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
| | ||
== सिद्धांतकोष से == | == सिद्धांतकोष से == | ||
<span class="HindiText"> देखें [[ करुणा ]]। | <span class="GRef"> सर्वार्थसिद्धि/7/11/349/8 </span><span class="SanskritText"> दीनानुग्रहभाव: कारुण्यम्।</span> =<span class="HindiText"> दीनों पर दयाभावा रखना '''कारुण्य''' है। </span> | ||
<span class="HindiText"> देखें [[ करुणा ]]।</span> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 22: | Line 24: | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: | [[Category: चरणानुयोग]] |
Latest revision as of 15:56, 5 February 2024
सिद्धांतकोष से
सर्वार्थसिद्धि/7/11/349/8 दीनानुग्रहभाव: कारुण्यम्। = दीनों पर दयाभावा रखना कारुण्य है।
देखें करुणा ।
पुराणकोष से
संवेग और वैराग्य के लिए साधनभूत तथा अहिंसा के लिए आवश्यक मैत्री, प्रमोद, कारुण्य और माध्यस्थ इन चार भावनाओं में तृतीय भावना । इसमें दीन-दु:खी जीवों पर दया के भाव होते हैं । महापुराण 20-65