अविनिघोष: Difference between revisions
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<p class="HindiText"> 1. मानुषोत्तर पर्वतस्थ अज्जनकूट का स्वामी भवनवासी सुपर्णकुमार देव। देखें [[ लोक#5.10.2 | लोक - 5.10.2]]. (स.पु.59/212-218) पूर्व पाप के कारण हाथी हुआ, मुनि द्वारा संबोधे जाने पर अणुव्रत धारण कर लिया। पूर्व बैरी सर्प के डस लेने से मरकर स्वर्ग में श्रीधर देव हुआ। वह संजयंत मुनि का पूर्व का सातवाँ भव है।</p> | |||
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1. मानुषोत्तर पर्वतस्थ अज्जनकूट का स्वामी भवनवासी सुपर्णकुमार देव। देखें लोक - 5.10.2. (स.पु.59/212-218) पूर्व पाप के कारण हाथी हुआ, मुनि द्वारा संबोधे जाने पर अणुव्रत धारण कर लिया। पूर्व बैरी सर्प के डस लेने से मरकर स्वर्ग में श्रीधर देव हुआ। वह संजयंत मुनि का पूर्व का सातवाँ भव है।