अभेदोपचार: Difference between revisions
From जैनकोष
mNo edit summary |
(Imported from text file) |
||
(One intermediate revision by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<span class="GRef">राजवार्तिक अध्याय 4/42/14/253/1</span> <p class="SanskritText">पर्यायार्थत्वेनाश्रयेण परस्पर व्यतिरेकेऽपि एकत्वाध्यारोपः ततश्चाभेदोपचारः।</p> | |||
<p class="HindiText">= पर्यायार्थिक | <p class="HindiText">= पर्यायार्थिक न यके आश्रय से विभिन्न पर्यायों में परस्पर व्यतिरेक होते हुए भी उनमें एकत्व का अध्यारोप करना अभेदोपचार है।</p> | ||
<p>( सप्तभंग तरंंगिनी पृष्ठ 19/13) ।</p> | <p><span class="GRef">(सप्तभंग तरंंगिनी पृष्ठ 19/13)</span> ।</p> | ||
Latest revision as of 22:15, 17 November 2023
राजवार्तिक अध्याय 4/42/14/253/1
पर्यायार्थत्वेनाश्रयेण परस्पर व्यतिरेकेऽपि एकत्वाध्यारोपः ततश्चाभेदोपचारः।
= पर्यायार्थिक न यके आश्रय से विभिन्न पर्यायों में परस्पर व्यतिरेक होते हुए भी उनमें एकत्व का अध्यारोप करना अभेदोपचार है।
(सप्तभंग तरंंगिनी पृष्ठ 19/13) ।