काकिणी: Difference between revisions
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<span class="HindiText"> चक्रवर्ती के चौदह रत्नों में | <span class="HindiText"> चक्रवर्ती के चौदह रत्नों में से एक रत्न –देखें [[शलाका_पुरुष#2.7 | शलाका पुरूष - 2.7]]।</span> | ||
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<span class="HindiText"> चक्रवती के चौदह रत्नों में एक रत्न यह सूर्य के समान प्रकाश एव ताप से युक्त होता है । शिलापट्ट आदि पर लेख आदि अंकित करने के लिए प्राचीन काल में इसका व्यवहार किया जाता था । <span class="GRef"> महापुराण 32.15, 141, 37.85-85 </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 11.27 </span></p> | <span class="HindiText"> चक्रवती के चौदह रत्नों में एक रत्न । यह सूर्य के समान प्रकाश एव ताप से युक्त होता है । शिलापट्ट आदि पर लेख आदि अंकित करने के लिए प्राचीन काल में इसका व्यवहार किया जाता था ।</span> <span class="GRef"> महापुराण 32.15, 141, 37.85-85 </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_11#27|हरिवंशपुराण - 11.27]] </span></p> | ||
Latest revision as of 14:41, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
चक्रवर्ती के चौदह रत्नों में से एक रत्न –देखें शलाका पुरूष - 2.7।
पुराणकोष से
चक्रवती के चौदह रत्नों में एक रत्न । यह सूर्य के समान प्रकाश एव ताप से युक्त होता है । शिलापट्ट आदि पर लेख आदि अंकित करने के लिए प्राचीन काल में इसका व्यवहार किया जाता था । महापुराण 32.15, 141, 37.85-85 हरिवंशपुराण - 11.27