चंड: Difference between revisions
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ई.पू.3 का एक प्राकृत विद्वान् जिन्होंने ‘प्राकृत लक्षण’ नाम का एक प्राकृत व्याकरण लिखा है।( | <div class="HindiText">ई.पू.3 का एक प्राकृत विद्वान् जिन्होंने ‘प्राकृत लक्षण’ नाम का एक प्राकृत व्याकरण लिखा है।<span class="GRef">(षट्खण्डागम प्रस्तावना 118)</span>। </div> | ||
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<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) राजा अनिल के पश्चात् हुआ लंका का राक्षसवंशी विद्याधर राजा । यह विद्या, बल और महाक्रांति का धारक था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 5. 397-400 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) राजा अनिल के पश्चात् हुआ लंका का राक्षसवंशी विद्याधर राजा । यह विद्या, बल और महाक्रांति का धारक था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_5#397|पद्मपुराण - 5.397-400]] </span></p> | ||
<p id="2">(2) रावण का | <p id="2" class="HindiText">(2) रावण का व्याघ्र रथारोही सामंत । <span class="GRef"> महापुराण 57.51-52 </span></p> | ||
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Latest revision as of 19:02, 22 January 2024
सिद्धांतकोष से
ई.पू.3 का एक प्राकृत विद्वान् जिन्होंने ‘प्राकृत लक्षण’ नाम का एक प्राकृत व्याकरण लिखा है।(षट्खण्डागम प्रस्तावना 118)।
पुराणकोष से
(1) राजा अनिल के पश्चात् हुआ लंका का राक्षसवंशी विद्याधर राजा । यह विद्या, बल और महाक्रांति का धारक था । पद्मपुराण - 5.397-400
(2) रावण का व्याघ्र रथारोही सामंत । महापुराण 57.51-52