महात्मा: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
(Imported from text file) |
||
(3 intermediate revisions by 3 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
| | ||
== सिद्धांतकोष से == | == सिद्धांतकोष से == | ||
<p><span class="GRef"> प्रवचनसार / तात्पर्यवृत्ति/92/116/15 </span>–<span class="SanskritText">मोक्षलक्षणमहार्थसाधकत्वेन महात्मा।</span> <span class="HindiText">मोक्ष लक्षण वाले महाप्रयोजन को साधने के कारण श्रमण को महात्मा कहते हैं। </span></p> | <p><span class="GRef"> प्रवचनसार / तात्पर्यवृत्ति/92/116/15 </span>–<span class="SanskritText">मोक्षलक्षणमहार्थसाधकत्वेन महात्मा।</span> <span class="HindiText">मोक्ष लक्षण वाले महाप्रयोजन को साधने के कारण श्रमण को महात्मा कहते हैं। </span></p> | ||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 13: | Line 13: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । <span class="GRef"> महापुराण 25. 259 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । <span class="GRef"> महापुराण 25. 259 </span></p> | ||
<p id="2">(2) क्षमाधारी पुरुष । अपराधियों के अपराध क्षमा करना ही इनका स्वभाव होता है । <span class="GRef"> महापुराण 45.12 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) क्षमाधारी पुरुष । अपराधियों के अपराध क्षमा करना ही इनका स्वभाव होता है । <span class="GRef"> महापुराण 45.12 </span></p> | ||
</div> | </div> | ||
Line 25: | Line 25: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: म]] | [[Category: म]] | ||
[[Category: | [[Category: चरणानुयोग]] | ||
Latest revision as of 15:20, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
प्रवचनसार / तात्पर्यवृत्ति/92/116/15 –मोक्षलक्षणमहार्थसाधकत्वेन महात्मा। मोक्ष लक्षण वाले महाप्रयोजन को साधने के कारण श्रमण को महात्मा कहते हैं।
पुराणकोष से
(1) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 25. 259
(2) क्षमाधारी पुरुष । अपराधियों के अपराध क्षमा करना ही इनका स्वभाव होता है । महापुराण 45.12