अवक्तव्य नय: Difference between revisions
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<span class="GRef">प्रवचनसार/तत्त्वप्रदीपिका/परिशिष्ठ नय नं.३-९</span> <span class="SanskritText"> अस्तित्वनयेनायोमयगुणकार्मुकान्तरालवर्तिसंहितावस्थलक्ष्योन्मुखविशिखवत् स्वद्रव्यक्षेत्रकालभावैरस्तित्ववत् ।३। नास्तित्वनयेनानयोमयागुणकार्मुकान्तरालवर्त्यसंहितावस्थालक्ष्योन्मुखप्राक्तनविशिखवत् परद्रव्यक्षेत्रकालभावैर्नास्तित्ववत् ।४। अस्तित्वनास्तित्वनयेन...प्राक्तनविशिखवत् क्रमत: स्वपरद्रव्यक्षेत्रकालभावैरस्तित्वनास्तित्ववत् ।५। अवक्तव्यनयेन ...प्राक्तनविशिखवत् युगपत्स्वपरद्रव्यक्षेत्रकालभावैरवक्तव्यम् ।६। अस्तित्वावक्तव्यनयेन...प्राक्तनविशिखवत् अस्तित्ववदवक्तव्यम् ।७। नास्तित्वावक्तव्यनयेन...प्राक्तनविशिखवत् ...नास्तित्ववदवक्तव्यम् ।८। अस्तित्वनास्तित्वावक्तव्यनयेन...प्राक्तनविशिखवत् ...अस्तित्वनास्तित्ववदवक्तव्यम् ।९।</span>= | |||
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<li class="HindiText" name="I.5.2.1" id="I.5.2.1"> आत्मद्रव्य अस्तित्वननय से स्व द्रव्य क्षेत्र काल व भाव से अस्तित्व वाला है। जैसे कि द्रव्य की अपेक्षा लोहमयी, क्षेत्र की अपेक्षा त्यंचा और धनुष के मध्य में निहित, काल की अपेक्षा सन्धान दशा में रहे हुए और भाव की अपेक्षा लक्ष्योन्मुख बाण का अस्तित्व है।३। <span class="GRef">(पंचाध्यायी/पूर्वार्ध/७५६)</span> </li> | |||
<li class="HindiText" name="I.5.2.2" id="I.5.2.2"> आत्म द्रव्य नास्तित्व नय से पर द्रव्य क्षेत्र काल व भाव से नास्तित्ववाला है। जैसे कि द्रव्य की अपेक्षा अलोहमयी, क्षेत्र की अपेक्षा प्रत्यंचा और धनुष के बीच में अनिहित, काल की अपेक्षा सन्धान दशा में न रहे हुए और भाव की अपेक्षा अलक्ष्योन्मुख पहले वाले बाण का नास्तित्व है, अर्थात् ऐसे किसी बाण का अस्तित्व नहीं है।४। <span class="GRef">(पंचाध्यायी/पूर्वार्ध/७५७)</span> </li> | |||
<li> <span class="HindiText" name="I.5.2.3" id="I.5.2.3">आत्मद्रव्य अस्तित्व नास्तित्व नय से पूर्व के बाण की भाँति ही क्रमश: स्व व पर द्रव्य क्षेत्र काल भाव से अस्तित्व नास्तित्ववाला है।५। </span></li> | |||
<li> <span class="HindiText" name="I.5.2.4" id="I.5.2.4">आत्मद्रव्य '''अवक्तव्य नय''' से पूर्व के वाण की भाँति ही युगपत् स्व व पर द्रव्य क्षेत्र काल और भाव से अवक्तव्य है।६। </span></li> | |||
<li class="HindiText" name="I.5.2.5" id="I.5.2.5"> आत्म द्रव्य '''अस्तित्व अवक्तव्य नय''' से पूर्व के बाण की भाँति (पहले अस्तित्व रूप और पीछे अवक्तव्य रूप देखने पर) अस्तित्ववाला तथा अवक्तव्य है।७। </li> | |||
<li class="HindiText" name="I.5.2.6" id="I.5.2.6"> आत्मद्रव्य '''नास्तित्व अवक्तव्य नय''' से पूर्व के बाण की भाँति ही (पहले नास्तित्वरूप और पीछे अवक्तव्यरूप देखने पर) नास्तित्ववाला तथा अवक्तव्य है।८। </li> | |||
<li class="HindiText" name="I.5.2.7" id="I.5.2.7"> आत्मद्रव्य <span class="HindiText">'''अस्तित्व नास्तित्व अवक्तव्य नय''' से पूर्व के बाण की भांति ही (क्रम से तथा युगपत् देखने पर) अस्तित्व व नास्तित्व वाला अवक्तव्य है।९। (विशेष दे.[[सप्तभंगी]])। </span></li> | |||
<p class="HindiText">47 नयों में से एक -विस्तार के लिये देखें [[ नय#I.5.4 | नय - I.5.4]]</p> | |||
Latest revision as of 22:15, 17 November 2023
प्रवचनसार/तत्त्वप्रदीपिका/परिशिष्ठ नय नं.३-९ अस्तित्वनयेनायोमयगुणकार्मुकान्तरालवर्तिसंहितावस्थलक्ष्योन्मुखविशिखवत् स्वद्रव्यक्षेत्रकालभावैरस्तित्ववत् ।३। नास्तित्वनयेनानयोमयागुणकार्मुकान्तरालवर्त्यसंहितावस्थालक्ष्योन्मुखप्राक्तनविशिखवत् परद्रव्यक्षेत्रकालभावैर्नास्तित्ववत् ।४। अस्तित्वनास्तित्वनयेन...प्राक्तनविशिखवत् क्रमत: स्वपरद्रव्यक्षेत्रकालभावैरस्तित्वनास्तित्ववत् ।५। अवक्तव्यनयेन ...प्राक्तनविशिखवत् युगपत्स्वपरद्रव्यक्षेत्रकालभावैरवक्तव्यम् ।६। अस्तित्वावक्तव्यनयेन...प्राक्तनविशिखवत् अस्तित्ववदवक्तव्यम् ।७। नास्तित्वावक्तव्यनयेन...प्राक्तनविशिखवत् ...नास्तित्ववदवक्तव्यम् ।८। अस्तित्वनास्तित्वावक्तव्यनयेन...प्राक्तनविशिखवत् ...अस्तित्वनास्तित्ववदवक्तव्यम् ।९।=
- आत्मद्रव्य अस्तित्वननय से स्व द्रव्य क्षेत्र काल व भाव से अस्तित्व वाला है। जैसे कि द्रव्य की अपेक्षा लोहमयी, क्षेत्र की अपेक्षा त्यंचा और धनुष के मध्य में निहित, काल की अपेक्षा सन्धान दशा में रहे हुए और भाव की अपेक्षा लक्ष्योन्मुख बाण का अस्तित्व है।३। (पंचाध्यायी/पूर्वार्ध/७५६)
- आत्म द्रव्य नास्तित्व नय से पर द्रव्य क्षेत्र काल व भाव से नास्तित्ववाला है। जैसे कि द्रव्य की अपेक्षा अलोहमयी, क्षेत्र की अपेक्षा प्रत्यंचा और धनुष के बीच में अनिहित, काल की अपेक्षा सन्धान दशा में न रहे हुए और भाव की अपेक्षा अलक्ष्योन्मुख पहले वाले बाण का नास्तित्व है, अर्थात् ऐसे किसी बाण का अस्तित्व नहीं है।४। (पंचाध्यायी/पूर्वार्ध/७५७)
- आत्मद्रव्य अस्तित्व नास्तित्व नय से पूर्व के बाण की भाँति ही क्रमश: स्व व पर द्रव्य क्षेत्र काल भाव से अस्तित्व नास्तित्ववाला है।५।
- आत्मद्रव्य अवक्तव्य नय से पूर्व के वाण की भाँति ही युगपत् स्व व पर द्रव्य क्षेत्र काल और भाव से अवक्तव्य है।६।
- आत्म द्रव्य अस्तित्व अवक्तव्य नय से पूर्व के बाण की भाँति (पहले अस्तित्व रूप और पीछे अवक्तव्य रूप देखने पर) अस्तित्ववाला तथा अवक्तव्य है।७।
- आत्मद्रव्य नास्तित्व अवक्तव्य नय से पूर्व के बाण की भाँति ही (पहले नास्तित्वरूप और पीछे अवक्तव्यरूप देखने पर) नास्तित्ववाला तथा अवक्तव्य है।८।
- आत्मद्रव्य अस्तित्व नास्तित्व अवक्तव्य नय से पूर्व के बाण की भांति ही (क्रम से तथा युगपत् देखने पर) अस्तित्व व नास्तित्व वाला अवक्तव्य है।९। (विशेष दे.सप्तभंगी)।
47 नयों में से एक -विस्तार के लिये देखें नय - I.5.4