विंध्यशक्ति: Difference between revisions
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<span class="GRef"> महापुराण/58/श्लोक </span> <span class="HindiText"> – भरत क्षेत्र के मलयदेश के राजा थे।63। भाई सुषेण की नर्तकी युद्ध करके छीन लिया।76। चिरकाल तक अनेकों योनियों में भ्रमण करने के पश्चात्।90। भरतक्षेत्र के भोगवर्द्धन नामक नगर के राजा श्रीधर के ‘तारक’ नाम के पुत्र हुए । यह तारक प्रतिनारायण का दूरवर्ती पूर्वभव है।–देखें [[ तारक ]]। </span> | <span class="GRef"> महापुराण/58/श्लोक </span> <span class="HindiText"> – भरत क्षेत्र के मलयदेश के राजा थे।63। भाई सुषेण की नर्तकी को युद्ध करके छीन लिया।76। चिरकाल तक अनेकों योनियों में भ्रमण करने के पश्चात्।90। भरतक्षेत्र के भोगवर्द्धन नामक नगर के राजा श्रीधर के ‘तारक’ नाम के पुत्र हुए । यह तारक प्रतिनारायण का दूरवर्ती पूर्वभव है।–देखें [[ तारक ]]। </span> | ||
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<div class="HindiText"> <p> प्रतिनारायण तारक के दूसरे पूर्वभव का जीव - जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र में स्थित मलयदेश के विंध्यपुर नगर का राजा। इन्होने कनकपुर नगर के राजा सुषेण की नर्तकी गुणमंजरी को पाने की राजा सुषेण से याचना की थी किंतु याचना विफल होने पर इन्हें उससे युद्ध करना पड़ा था। युद्ध में इन्होने सुषेण को पराजित करके गुणमंजरी प्राप्त की थी। <span class="GRef"> महापुराण 58.63-78, 90-91 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> प्रतिनारायण तारक के दूसरे पूर्वभव का जीव - जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र में स्थित मलयदेश के विंध्यपुर नगर का राजा। इन्होने कनकपुर नगर के राजा सुषेण की नर्तकी गुणमंजरी को पाने की राजा सुषेण से याचना की थी किंतु याचना विफल होने पर इन्हें उससे युद्ध करना पड़ा था। युद्ध में इन्होने सुषेण को पराजित करके गुणमंजरी प्राप्त की थी। <span class="GRef"> महापुराण 58.63-78, 90-91 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:25, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
महापुराण/58/श्लोक – भरत क्षेत्र के मलयदेश के राजा थे।63। भाई सुषेण की नर्तकी को युद्ध करके छीन लिया।76। चिरकाल तक अनेकों योनियों में भ्रमण करने के पश्चात्।90। भरतक्षेत्र के भोगवर्द्धन नामक नगर के राजा श्रीधर के ‘तारक’ नाम के पुत्र हुए । यह तारक प्रतिनारायण का दूरवर्ती पूर्वभव है।–देखें तारक ।
पुराणकोष से
प्रतिनारायण तारक के दूसरे पूर्वभव का जीव - जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र में स्थित मलयदेश के विंध्यपुर नगर का राजा। इन्होने कनकपुर नगर के राजा सुषेण की नर्तकी गुणमंजरी को पाने की राजा सुषेण से याचना की थी किंतु याचना विफल होने पर इन्हें उससे युद्ध करना पड़ा था। युद्ध में इन्होने सुषेण को पराजित करके गुणमंजरी प्राप्त की थी। महापुराण 58.63-78, 90-91