कृतक: Difference between revisions
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<span class="GRef">स्याद्वाद मंजरी</span>! <span class="SanskritText">आपेक्षितपरव्यापारो हि भाव: स्वभावनिष्पन्नो कृतमित्युच्यते।</span>=<span class="HindiText">जो पदार्थ अपने स्वभाव की सिद्धि में दूसरे के व्यापार की इच्छा करता है, उसे कृतक कहते हैं। </span> | |||
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Latest revision as of 15:34, 24 March 2023
स्याद्वाद मंजरी! आपेक्षितपरव्यापारो हि भाव: स्वभावनिष्पन्नो कृतमित्युच्यते।=जो पदार्थ अपने स्वभाव की सिद्धि में दूसरे के व्यापार की इच्छा करता है, उसे कृतक कहते हैं।