बुध: Difference between revisions
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<li class="HindiText"> बुध ग्रह का लोक में अवस्थान - | <li class="HindiText"> बुध ग्रह का लोक में अवस्थान एवं संबंधित अन्य जानकारी के लिए देखें - [[ ज्योतिष_लोक | ज्योतिष_लोक]]। </li> | ||
<li> <span class="GRef"> स्याद्वादमंजरी/23/273/26 </span><span class="SanskritText">बुध्यंते यथावस्थितं वस्तुतत्त्वं | <li> <span class="GRef"> स्याद्वादमंजरी/23/273/26 </span><span class="SanskritText">बुध्यंते यथावस्थितं वस्तुतत्त्वं सारेतरविषयविभागविचारणया इति बुधाः ।</span> = <span class="HindiText">यथावस्थित वस्तु तत्त्व को सार व असार के विषय विभाग की विचारणा के द्वारा जो जानते हैं, वे बुध हैं ।</span></li> | ||
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<div class="HindiText"> <p> रावण का श्वसुर एक नृप । इसकी रानी मनोवेगा से उत्पन्न अशोकलता का विवाह गांधर्व विधि से रावण के साथ हुआ था यह मय का मंत्री था और इसने दशानन की दक्षिणी-विजय की यात्रा में उनका साथ दिया था । यह राजा सीता के स्वयंवर में भी सम्मिलित हुआ था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 8.104-108, 269-271, 28.215 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> रावण का श्वसुर एक नृप । इसकी रानी मनोवेगा से उत्पन्न अशोकलता का विवाह गांधर्व विधि से रावण के साथ हुआ था यह मय का मंत्री था और इसने दशानन की दक्षिणी-विजय की यात्रा में उनका साथ दिया था । यह राजा सीता के स्वयंवर में भी सम्मिलित हुआ था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_8#104|पद्मपुराण - 8.104-108]], 269-271, 28.215 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:15, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
- ज्योतिष देवों के 88 ग्रहों में से एक ग्रह बुध है | ग्रह के अन्य प्रकारों के लिए देखें - ग्रह ;
- बुध ग्रह का लोक में अवस्थान एवं संबंधित अन्य जानकारी के लिए देखें - ज्योतिष_लोक।
- स्याद्वादमंजरी/23/273/26 बुध्यंते यथावस्थितं वस्तुतत्त्वं सारेतरविषयविभागविचारणया इति बुधाः । = यथावस्थित वस्तु तत्त्व को सार व असार के विषय विभाग की विचारणा के द्वारा जो जानते हैं, वे बुध हैं ।
पुराणकोष से
रावण का श्वसुर एक नृप । इसकी रानी मनोवेगा से उत्पन्न अशोकलता का विवाह गांधर्व विधि से रावण के साथ हुआ था यह मय का मंत्री था और इसने दशानन की दक्षिणी-विजय की यात्रा में उनका साथ दिया था । यह राजा सीता के स्वयंवर में भी सम्मिलित हुआ था । पद्मपुराण - 8.104-108, 269-271, 28.215