दशलक्षणव्रत: Difference between revisions
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<p><span class="HindiText">इस व्रत की विधि तीन प्रकार से वर्णन की गयी है–उत्तम, मध्यम व जघन्य। </span><span class="HindiText"><strong>उत्तम</strong>–10 वर्ष तक प्रतिवर्ष तीन बार माघ, चैत्र व भाद्रपद की शु.5 से शु.14 तक के दश दिन दश लक्षण धर्म के दिन कहलाते हैं। इन दश दिनों में उपवास करना। <strong>मध्यम</strong>–वर्ष में तीन बार दश वर्ष तक 5, 8, 11, 14 इन तिथियों को उपवास और शेष 6 दिन एकाशन। <strong>जघन्य</strong>–वर्ष में तीन बार दश वर्ष तक दशों दिन एकाशन करना। <strong>जाप्य</strong></span>–<span class="SanskritText">ओं ह्रीं अर्हन्मुखकमलसमुद्भूतोत्तमक्षमादिदशलक्षणैकधर्माय नम: का त्रिकाल जाप्य। </span></p> | |||
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Latest revision as of 09:52, 11 August 2022
इस व्रत की विधि तीन प्रकार से वर्णन की गयी है–उत्तम, मध्यम व जघन्य। उत्तम–10 वर्ष तक प्रतिवर्ष तीन बार माघ, चैत्र व भाद्रपद की शु.5 से शु.14 तक के दश दिन दश लक्षण धर्म के दिन कहलाते हैं। इन दश दिनों में उपवास करना। मध्यम–वर्ष में तीन बार दश वर्ष तक 5, 8, 11, 14 इन तिथियों को उपवास और शेष 6 दिन एकाशन। जघन्य–वर्ष में तीन बार दश वर्ष तक दशों दिन एकाशन करना। जाप्य–ओं ह्रीं अर्हन्मुखकमलसमुद्भूतोत्तमक्षमादिदशलक्षणैकधर्माय नम: का त्रिकाल जाप्य।