दूरार्थ: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
No edit summary |
||
(6 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<span class="GRef"> न्यायदीपिका/2/22/41/9 </span>दूरा (अर्था:) <span class="SanskritText">देशविप्रकृष्टा मेर्वादय:। </span>=<span class="HindiText">दूर वे हैं जो देश से विप्रकृष्ट हैं, जैसे मेरु आदि। अर्थात् जो पदार्थ क्षेत्र से दूर हैं वे दूरार्थ कहलाते हैं।</span> <span class="GRef"> पंचाध्यायी / उत्तरार्ध/484 </span><span class="SanskritText">दूरार्था भाविनोऽतीता रामरावणचक्रिण:।</span> =<span class="HindiText">भूत भविष्यत कालवर्ती राम, रावण, चक्रवर्ती आदि काल की अपेक्षा से अत्यंत दूर होने से दूरार्थ कहलाते हैं।</span> | |||
<p> </p> | |||
<noinclude> | |||
[[ दूरापकृष्टि | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[ दूरास्वादन ऋद्धि | अगला पृष्ठ ]] | |||
</noinclude> | |||
[[Category: द]] | |||
[[Category: द्रव्यानुयोग]] | |||
Latest revision as of 13:04, 18 August 2022
न्यायदीपिका/2/22/41/9 दूरा (अर्था:) देशविप्रकृष्टा मेर्वादय:। =दूर वे हैं जो देश से विप्रकृष्ट हैं, जैसे मेरु आदि। अर्थात् जो पदार्थ क्षेत्र से दूर हैं वे दूरार्थ कहलाते हैं। पंचाध्यायी / उत्तरार्ध/484 दूरार्था भाविनोऽतीता रामरावणचक्रिण:। =भूत भविष्यत कालवर्ती राम, रावण, चक्रवर्ती आदि काल की अपेक्षा से अत्यंत दूर होने से दूरार्थ कहलाते हैं।