हरिचंद्र: Difference between revisions
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<li | <li class="HindiText">नोमक वंश के कायस्थ आर्द्रदेव नामक श्रेष्ठी के पुत्र आचारशास्त्र के वेत्ता जैन कवि गृहस्थ। कृति-धर्मशर्माभ्युदय, जीवंधर चंपू। समय-ई.श.10 का मध्य। (<span class="GRef">तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा/4/14</span>)।</span></li> | ||
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<span class="HindiText"> (1) अलका नगरी के राजा अरविंद विद्याधर का ज्येष्ठ पुत्र और कुरुविंद का भाई । पिता ने अपना दाहज्वर मिटाने के लिए इससे उत्तरकुरु के वन में जाने की इच्छा प्रकट की थी । इसने भी आकाशगामिनी विद्या को उन्हें उत्तरकुरु ले जाने के लिए कहा था किंतु विद्या उन्हें वहाँ नहीं ले जा सकी थी । इससे पिता की असाध्य बीमारी जानकर यह उदास हो गया था । <span class="GRef"> महापुराण 5. 89-101 </span></span><br /> | <span class="HindiText"> (1) अलका नगरी के राजा अरविंद विद्याधर का ज्येष्ठ पुत्र और कुरुविंद का भाई । पिता ने अपना दाहज्वर मिटाने के लिए इससे उत्तरकुरु के वन में जाने की इच्छा प्रकट की थी । इसने भी आकाशगामिनी विद्या को उन्हें उत्तरकुरु ले जाने के लिए कहा था किंतु विद्या उन्हें वहाँ नहीं ले जा सकी थी । इससे पिता की असाध्य बीमारी जानकर यह उदास हो गया था । <span class="GRef"> महापुराण 5. 89-101 </span></span><br /> | ||
<span class="HindiText"> (2) सिद्धकूट के एक चारणऋद्धिधारी मुनि । प्रभाकरपुर के राजा सूर्यावर्त का पुत्र रश्मिवेग इन्हीं से दीक्षा लेकर मुनि हुआ था । <span class="GRef"> महापुराण 59.233, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 27.80-83 </span></span><br /> | <span class="HindiText"> (2) सिद्धकूट के एक चारणऋद्धिधारी मुनि । प्रभाकरपुर के राजा सूर्यावर्त का पुत्र रश्मिवेग इन्हीं से दीक्षा लेकर मुनि हुआ था । <span class="GRef"> महापुराण 59.233, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_27#80|हरिवंशपुराण - 27.80-83]] </span></span><br /> | ||
<span class="HindiText"> (3) आगामी चौथे बलभद्र । <span class="GRef"> महापुराण 76.486 </span></span><br /> | <span class="HindiText"> (3) आगामी चौथे बलभद्र । <span class="GRef"> महापुराण 76.486 </span></span><br /> | ||
<span class="HindiText"> (4) एक विद्याधर । यह विद्याधर रक्तोष्ठ का पुत्र और पूश्चंद्र का पिता था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 5.52 </span></span> <br /> | <span class="HindiText"> (4) एक विद्याधर । यह विद्याधर रक्तोष्ठ का पुत्र और पूश्चंद्र का पिता था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_5#52|पद्मपुराण - 5.52]] </span></span> <br /> | ||
<span class="HindiText"> (5) जंबूद्वीप के मृगांकनगर का राजा । इसकी रानी प्रियंगुलक्ष्मी और पुत्र सिंहचंद्र था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 17. 150-151 </span></span><br /> | <span class="HindiText"> (5) जंबूद्वीप के मृगांकनगर का राजा । इसकी रानी प्रियंगुलक्ष्मी और पुत्र सिंहचंद्र था । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_17#150|पद्मपुराण - 17.150-151]] </span></span><br /> | ||
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Latest revision as of 17:12, 16 February 2024
सिद्धांतकोष से
- नोमक वंश के कायस्थ आर्द्रदेव नामक श्रेष्ठी के पुत्र आचारशास्त्र के वेत्ता जैन कवि गृहस्थ। कृति-धर्मशर्माभ्युदय, जीवंधर चंपू। समय-ई.श.10 का मध्य। (तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा/4/14)।
- 'अणत्थमियकहा' के रचयिता एक अपभ्रंश कवि गृहस्थ। समय-वि.श.15 का मध्य। (तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा/4/222)।
पुराणकोष से
(1) अलका नगरी के राजा अरविंद विद्याधर का ज्येष्ठ पुत्र और कुरुविंद का भाई । पिता ने अपना दाहज्वर मिटाने के लिए इससे उत्तरकुरु के वन में जाने की इच्छा प्रकट की थी । इसने भी आकाशगामिनी विद्या को उन्हें उत्तरकुरु ले जाने के लिए कहा था किंतु विद्या उन्हें वहाँ नहीं ले जा सकी थी । इससे पिता की असाध्य बीमारी जानकर यह उदास हो गया था । महापुराण 5. 89-101
(2) सिद्धकूट के एक चारणऋद्धिधारी मुनि । प्रभाकरपुर के राजा सूर्यावर्त का पुत्र रश्मिवेग इन्हीं से दीक्षा लेकर मुनि हुआ था । महापुराण 59.233, हरिवंशपुराण - 27.80-83
(3) आगामी चौथे बलभद्र । महापुराण 76.486
(4) एक विद्याधर । यह विद्याधर रक्तोष्ठ का पुत्र और पूश्चंद्र का पिता था । पद्मपुराण - 5.52
(5) जंबूद्वीप के मृगांकनगर का राजा । इसकी रानी प्रियंगुलक्ष्मी और पुत्र सिंहचंद्र था । पद्मपुराण - 17.150-151