अतिरूपक: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> देवरमण वन का एक व्यंतरदेव । सुरूप नामक देव और यह दोनों इसी वन में उत्पन्न हुए थे । पूर्व जन्म में दोनों गीध और कबूतर थे । दोनों ने मुनि मेघरथ से दान और उसके पात्र का स्वरूप भली प्रकार समझा था इसलिए अंत में देह त्यागकर ये दोनों देव हुए थे । <span class="GRef"> महापुराण 63.276-278 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> देवरमण वन का एक व्यंतरदेव । सुरूप नामक देव और यह दोनों इसी वन में उत्पन्न हुए थे । पूर्व जन्म में दोनों गीध और कबूतर थे । दोनों ने मुनि मेघरथ से दान और उसके पात्र का स्वरूप भली प्रकार समझा था इसलिए अंत में देह त्यागकर ये दोनों देव हुए थे । <span class="GRef"> महापुराण 63.276-278 </span></p> | ||
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Latest revision as of 14:39, 27 November 2023
देवरमण वन का एक व्यंतरदेव । सुरूप नामक देव और यह दोनों इसी वन में उत्पन्न हुए थे । पूर्व जन्म में दोनों गीध और कबूतर थे । दोनों ने मुनि मेघरथ से दान और उसके पात्र का स्वरूप भली प्रकार समझा था इसलिए अंत में देह त्यागकर ये दोनों देव हुए थे । महापुराण 63.276-278