देवकुरु: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) तीर्थंकर नेमि द्वारा दीक्षा लेने के समय व्यवहृत एक शिविका (पालकी) । <span class="GRef"> महापुराण 71. 169, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 22. 44 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) तीर्थंकर नेमि द्वारा दीक्षा लेने के समय व्यवहृत एक शिविका (पालकी) । <span class="GRef"> महापुराण 71. 169, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 22. 44 </span></p> | ||
<p id="2">(2) सुमेरु तथा निषध कुलाचल के बीच का भोगभूमि का अर्धचक्राकार एक प्रदेश । <span class="GRef"> महापुराण 3.24, 5.184, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.167 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) सुमेरु तथा निषध कुलाचल के बीच का भोगभूमि का अर्धचक्राकार एक प्रदेश । <span class="GRef"> महापुराण 3.24, 5.184, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#167|हरिवंशपुराण - 5.167]] </span></p> | ||
<p id="3">(3) निषध पर्वत से उत्तर की ओर नदी के बीच निर्मित एक महाह्रद । <span class="GRef"> महापुराण 63. 198, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.196 </span></p> | <p id="3" class="HindiText">(3) निषध पर्वत से उत्तर की ओर नदी के बीच निर्मित एक महाह्रद । <span class="GRef"> महापुराण 63. 198, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#196|हरिवंशपुराण - 5.196]] </span></p> | ||
<p id="4">(4) सौमनस पर्वत का एक कूट । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.221 </span></p> | <p id="4" class="HindiText">(4) सौमनस पर्वत का एक कूट । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#221|हरिवंशपुराण - 5.221]] </span></p> | ||
<p id="5">(5) विद्युत्प्रभ पर्वत का एक कूट । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.222 </span></p> | <p id="5" class="HindiText">(5) विद्युत्प्रभ पर्वत का एक कूट । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#222|हरिवंशपुराण - 5.222]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:11, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
- विदेह क्षेत्रस्थ एक उत्तम भोगभूमि जिसके दक्षिण में निषध, उत्तर में सुमेरु, पूर्व में सौमनस गजदंत व पश्चिम में विद्युत्प्रभ गजदंत है।
- इसका अवस्थान व विस्तार–देखें लोक - 3.12
- इसमें काल परिवर्तन आदि विशेषताएँ–देखें काल - 4।
- गंधमादन के उत्तरकुरु कूट का स्वामी देव–देखें लोक - 5.4
- विद्युत्प्रभ गजदंतस्थ एक कूट–देखें लोक - 5.4
- सौमनस गजदंतस्थ एक कूट–देखें लोक - 5.4
- सौमनस गजदंतस्थ देवकुरु कूट का स्वामी देव–देखें लोक - 5.4
- देवकुरु में स्थित द्रह का नाम–देखें लोक - 5.6।
पुराणकोष से
(1) तीर्थंकर नेमि द्वारा दीक्षा लेने के समय व्यवहृत एक शिविका (पालकी) । महापुराण 71. 169, पांडवपुराण 22. 44
(2) सुमेरु तथा निषध कुलाचल के बीच का भोगभूमि का अर्धचक्राकार एक प्रदेश । महापुराण 3.24, 5.184, हरिवंशपुराण - 5.167
(3) निषध पर्वत से उत्तर की ओर नदी के बीच निर्मित एक महाह्रद । महापुराण 63. 198, हरिवंशपुराण - 5.196
(4) सौमनस पर्वत का एक कूट । हरिवंशपुराण - 5.221
(5) विद्युत्प्रभ पर्वत का एक कूट । हरिवंशपुराण - 5.222