खुशाल चंद: Difference between revisions
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<span class="HindiText">सांगानेर निवासी खंडेलवाल जैन थे। सांगानेरवासी पं. लखमीदास के शिष्य थे। दिल्ली जयसिंहपुरा में वि.सं. 1780 ई. 1723 में ब्र. जिनदास के हरिवंश के अनुसार हरिवंशपुराण का पद्यानुवाद किया है। इसके अतिरिक्त, पद्मपुराण उत्तरपुराण, धन्यकुमार चरित्र, जंबूचरित्र, यशोधर चरित्र। और व्रतकथा कोष। समय-वि.श.18 उत्तरार्ध। ( | <span class="HindiText">सांगानेर निवासी खंडेलवाल जैन थे। सांगानेरवासी पं. लखमीदास के शिष्य थे। दिल्ली जयसिंहपुरा में वि.सं. 1780 ई. 1723 में ब्र. जिनदास के हरिवंश के अनुसार हरिवंशपुराण का पद्यानुवाद किया है। इसके अतिरिक्त, पद्मपुराण उत्तरपुराण, धन्यकुमार चरित्र, जंबूचरित्र, यशोधर चरित्र। और व्रतकथा कोष। समय-वि.श.18 उत्तरार्ध। </span>(<span class="GRef"> तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा/4/303</span>)। | ||
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Revision as of 14:03, 17 April 2023
सांगानेर निवासी खंडेलवाल जैन थे। सांगानेरवासी पं. लखमीदास के शिष्य थे। दिल्ली जयसिंहपुरा में वि.सं. 1780 ई. 1723 में ब्र. जिनदास के हरिवंश के अनुसार हरिवंशपुराण का पद्यानुवाद किया है। इसके अतिरिक्त, पद्मपुराण उत्तरपुराण, धन्यकुमार चरित्र, जंबूचरित्र, यशोधर चरित्र। और व्रतकथा कोष। समय-वि.श.18 उत्तरार्ध। ( तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा/4/303)।