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([[हरिवंश पुराण]] सर्ग ४३/१००,१३६-१४६) मगधदेश शालिग्राम निवासी सोमदेव ब्राह्मण का पुत्र था। मुनियों से पूर्वभव का श्रवण कर लज्जा एवं द्वेष पूर्वक मुनि हत्या का उद्यम करनेपर यक्ष-द्वारा कील दिया गया। मुनि की दया से छूटनेपर अणुव्रत ग्रहण कर अन्त में सौधर्म स्वर्ग में देव हुआ।<br>[[Category:अ]] | ([[हरिवंश पुराण]] सर्ग ४३/१००,१३६-१४६) मगधदेश शालिग्राम निवासी सोमदेव ब्राह्मण का पुत्र था। मुनियों से पूर्वभव का श्रवण कर लज्जा एवं द्वेष पूर्वक मुनि हत्या का उद्यम करनेपर यक्ष-द्वारा कील दिया गया। मुनि की दया से छूटनेपर अणुव्रत ग्रहण कर अन्त में सौधर्म स्वर्ग में देव हुआ।<br>[[Category:अ]] [[Category:हरिवंश पुराण]] |
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(हरिवंश पुराण सर्ग ४३/१००,१३६-१४६) मगधदेश शालिग्राम निवासी सोमदेव ब्राह्मण का पुत्र था। मुनियों से पूर्वभव का श्रवण कर लज्जा एवं द्वेष पूर्वक मुनि हत्या का उद्यम करनेपर यक्ष-द्वारा कील दिया गया। मुनि की दया से छूटनेपर अणुव्रत ग्रहण कर अन्त में सौधर्म स्वर्ग में देव हुआ।