अतिवीर्य: Difference between revisions
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<p class="HindiText">( पद्मपुराण सर्ग 9/37/श्लोक) राम लक्ष्मण के वनवास | <p class="HindiText">(<span class="GRef"> पद्मपुराण सर्ग 9/37/श्लोक </span>) राम लक्ष्मण के वनवास होने पर (1) इन्होने भरत पर चढ़ाई कर दी (25-26) नर्तकियों के वेष में गुप्त रहकर (95-96) उन वनवासियों ने इन्हें वहाँ जाकर बाँध लिया (127-128) परंतु दयापूर्ण सीता ने इन्हें छुडा दिया (146) अंत में इन्होने दीक्षा ले ली (161)।</p> | ||
Revision as of 09:20, 4 November 2022
सिद्धांतकोष से
( पद्मपुराण सर्ग 9/37/श्लोक ) राम लक्ष्मण के वनवास होने पर (1) इन्होने भरत पर चढ़ाई कर दी (25-26) नर्तकियों के वेष में गुप्त रहकर (95-96) उन वनवासियों ने इन्हें वहाँ जाकर बाँध लिया (127-128) परंतु दयापूर्ण सीता ने इन्हें छुडा दिया (146) अंत में इन्होने दीक्षा ले ली (161)।
पुराणकोष से
(1) भरत चक्रवर्ती का पुत्र । यह भरत के सेनापति जयकुमार के साथ दीक्षित हो गया था । महापुराण 47.281 -283
(2) आदित्यवंशी राजा प्रतापवान् का पुत्र और सुवीर्य का जनक । हरिवंशपुराण 13. 9-10
(3) नंद्यावर्तपुर का राजा । इसकी रानी का नाम अरविंदा, पुत्र का नाम विजयरथ और पुत्री का नाम रतिमाला था । इसने विजय नगर के राजा पृथिवीधर को पत्र भेजकर राम और लक्ष्मण के वन जाने के पश्चात् अयोध्या के राजा भरत पर आक्रमण किया था । इस आक्रमण की सूचना पाकर राम और लक्ष्मण ने इसे अपनी सूझ-बूझ से जीवित पकड़ लिया । लक्ष्मण ने इसे मार डालना चाहा किंतु सीता ने उन्हें इसका वध नहीं करने दिया । अंत में राम ने भरत का आज्ञाकारी होकर नंधावर्त नगर में इच्छानुसार राज्य करने की इसे अनुमति दे दी किंतु ‘‘मुझे राज्य का फल मिल गया’’ ऐसा कहते हुए इसने श्रुतिधर मुनि से दीक्षा ग्रहण कर ली । पद्मपुराण 37.6-9, 26-27, 127-164, 38.1-2