सुचरित मिश्र: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p class="HindiText">मीमांसा दर्शन के टीकाकार।-</p> | |||
<p class="HindiText">कुमारिल की टीका तीन भागों में विभक्त है–‘श्लोक वार्तिक, ‘तंत्रवार्तिक’ और ‘तुपटीका’। तत्पश्चात् मंडन या मुरारीमिश्र हुए, जिन्होंने ‘विधिविवेक’, ‘मीमांसानुक्रमणी’ और कुमारिल के तंत्रवार्तिक पर टीका लिखी। पार्थसारथिमिश्र ने कुमारिल के श्लोकवार्तिक पर ‘न्याय रत्नाकर’, ‘शास्त्रदीपिका’, ‘तंत्ररत्न’ और ‘न्यायरत्नमाला’ लिखी। '''सुचारित्र मिश्र''' ने ‘श्लोकवार्तिक’ की टीका और काशिका व सोमेश्वर भट्ट ने ‘तंत्रवार्तिक टीका’ और ‘न्यायसुधा’ नामक ग्रंथ लिखे।</p> | |||
<p class="HindiText">देखें [[ मीमांसा दर्शन ]]।</p> | |||
<noinclude> | <noinclude> |
Latest revision as of 15:24, 21 March 2023
मीमांसा दर्शन के टीकाकार।-
कुमारिल की टीका तीन भागों में विभक्त है–‘श्लोक वार्तिक, ‘तंत्रवार्तिक’ और ‘तुपटीका’। तत्पश्चात् मंडन या मुरारीमिश्र हुए, जिन्होंने ‘विधिविवेक’, ‘मीमांसानुक्रमणी’ और कुमारिल के तंत्रवार्तिक पर टीका लिखी। पार्थसारथिमिश्र ने कुमारिल के श्लोकवार्तिक पर ‘न्याय रत्नाकर’, ‘शास्त्रदीपिका’, ‘तंत्ररत्न’ और ‘न्यायरत्नमाला’ लिखी। सुचारित्र मिश्र ने ‘श्लोकवार्तिक’ की टीका और काशिका व सोमेश्वर भट्ट ने ‘तंत्रवार्तिक टीका’ और ‘न्यायसुधा’ नामक ग्रंथ लिखे।
देखें मीमांसा दर्शन ।