पंकबहुल: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> रत्नप्रभा पृथिवी के तीन भागों मै द्वितीय भाग । यह भाग चौरासी हजार योजन मोटा है । यहाँ राक्षसों और असुरकुमारों के रत्नमय देदीप्यमान भवन होते हैं । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 4.47-50 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> रत्नप्रभा पृथिवी के तीन भागों मै द्वितीय भाग । यह भाग चौरासी हजार योजन मोटा है । यहाँ राक्षसों और असुरकुमारों के रत्नमय देदीप्यमान भवन होते हैं । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_4#47|हरिवंशपुराण - 4.47-50]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:15, 27 November 2023
रत्नप्रभा पृथिवी के तीन भागों मै द्वितीय भाग । यह भाग चौरासी हजार योजन मोटा है । यहाँ राक्षसों और असुरकुमारों के रत्नमय देदीप्यमान भवन होते हैं । हरिवंशपुराण - 4.47-50