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! | ! नाम-स्वर्ग !! जघन्य क्षेत्र - कथित स्थान के अन्त तक !! उत्कृष्ठ क्षेत्र- ऊपर !! उत्कृष्ठ क्षेत्र- तिर्यक्- त्रस नाली में कथित प्रमाण !! उत्कृष्ठ क्षेत्र-नीचे- कथित स्थान के अन्त तक !! उत्कृष्ठ काल - अतीत व अनागत !! द्रव्य व भाव | ||
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| | | सौधर्म ईशान|| ज्योतिषदेव का उत्कृष्ट || सर्वत्र अपने-अपने विमानके शिखर तक|| 1.5 राजू ||रत्नप्रभा || असंख्यात् कोडी वर्ष ||सामान्य नियम के अनुसार स्व स्व योग्य | ||
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| | | सनत्कुमार-माहेंद्र|| रत्नप्रभा || सर्वत्र अपने-अपने विमानके शिखर तक || 4 राजू || शर्कराप्रभा ||पल्य/असंख्यात् ||सामान्य नियम के अनुसार स्व स्व योग्य | ||
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| | | ब्रह्म ब्रह्मोत्तर ||शर्कराप्रभा || सर्वत्र अपने-अपने विमानके शिखर तक|| 5.5 राजू || बालुकाप्रभा || पल्य/असंख्यात् ||सामान्य नियम के अनुसार स्व स्व योग्य | ||
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| | | लांतव कापिष्ठ|| बालुकाप्रभा || सर्वत्र अपने-अपने विमानके शिखर तक|| 6 राजू|| बालुकाप्रभा || किंचिदून-पल्य ||सामान्य नियम के अनुसार स्व स्व योग्य | ||
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| शुक्र महाशुक्र || बालुकाप्रभा || सर्वत्र अपने-अपने विमानके शिखर तक|| 7.5 राजू|| बालुकाप्रभा ||किंचिदून-पल्य||सामान्य नियम के अनुसार स्व स्व योग्य | |||
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| शतार सहस्रार|| बालुकाप्रभा || सर्वत्र अपने-अपने विमानके शिखर तक|| 8 राजू|| पंकप्रभा|| किंचिदून-पल्य||सामान्य नियम के अनुसार स्व स्व योग्य | |||
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| आनत प्राणत|| पंकप्रभा || सर्वत्र अपने-अपने विमानके शिखर तक|| 9.5 राजू|| धूम्रप्रभा|| किंचिदून-पल्य||सामान्य नियम के अनुसार स्व स्व योग्य | |||
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| आरण अच्युत|| पंकप्रभा|| सर्वत्र अपने-अपने विमानके शिखर तक|| 10 राजू|| धूम्रप्रभा || किंचिदून-पल्य||सामान्य नियम के अनुसार स्व स्व योग्य | |||
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| नव ग्रैवेयक|| धूम्रप्रभा || सर्वत्र अपने-अपने विमानके शिखर तक|| 11 राजू|| तमप्रभा || किंचिदून-पल्य||सामान्य नियम के अनुसार स्व स्व योग्य | |||
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|नवअनुदिश|| महातमप्रभा ( हरिवंशपुराण 6,116 ) || सर्वत्र अपने-अपने विमानके शिखर तक|| कुछ अधिक 13 राजू|| वातवलय रहित लोकनाड़ी|| किंचिदून-पल्य||सामान्य नियम के अनुसार स्व स्व योग्य | |||
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| पंच अनुत्तर|| वातवलय रहित लोक नाड़ी|| सर्वत्र अपने-अपने विमानके शिखर तक|| कुछ कम 14 राजू|| वातवलय सहित लोकनाड़ी|| किंचिदून-पल्य||सामान्य नियम के अनुसार स्व स्व योग्य | |||
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Revision as of 15:17, 29 November 2022
नाम-स्वर्ग | जघन्य क्षेत्र - कथित स्थान के अन्त तक | उत्कृष्ठ क्षेत्र- ऊपर | उत्कृष्ठ क्षेत्र- तिर्यक्- त्रस नाली में कथित प्रमाण | उत्कृष्ठ क्षेत्र-नीचे- कथित स्थान के अन्त तक | उत्कृष्ठ काल - अतीत व अनागत | द्रव्य व भाव |
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सौधर्म ईशान | ज्योतिषदेव का उत्कृष्ट | सर्वत्र अपने-अपने विमानके शिखर तक | 1.5 राजू | रत्नप्रभा | असंख्यात् कोडी वर्ष | सामान्य नियम के अनुसार स्व स्व योग्य |
सनत्कुमार-माहेंद्र | रत्नप्रभा | सर्वत्र अपने-अपने विमानके शिखर तक | 4 राजू | शर्कराप्रभा | पल्य/असंख्यात् | सामान्य नियम के अनुसार स्व स्व योग्य |
ब्रह्म ब्रह्मोत्तर | शर्कराप्रभा | सर्वत्र अपने-अपने विमानके शिखर तक | 5.5 राजू | बालुकाप्रभा | पल्य/असंख्यात् | सामान्य नियम के अनुसार स्व स्व योग्य |
लांतव कापिष्ठ | बालुकाप्रभा | सर्वत्र अपने-अपने विमानके शिखर तक | 6 राजू | बालुकाप्रभा | किंचिदून-पल्य | सामान्य नियम के अनुसार स्व स्व योग्य |
शुक्र महाशुक्र | बालुकाप्रभा | सर्वत्र अपने-अपने विमानके शिखर तक | 7.5 राजू | बालुकाप्रभा | किंचिदून-पल्य | सामान्य नियम के अनुसार स्व स्व योग्य |
शतार सहस्रार | बालुकाप्रभा | सर्वत्र अपने-अपने विमानके शिखर तक | 8 राजू | पंकप्रभा | किंचिदून-पल्य | सामान्य नियम के अनुसार स्व स्व योग्य |
आनत प्राणत | पंकप्रभा | सर्वत्र अपने-अपने विमानके शिखर तक | 9.5 राजू | धूम्रप्रभा | किंचिदून-पल्य | सामान्य नियम के अनुसार स्व स्व योग्य |
आरण अच्युत | पंकप्रभा | सर्वत्र अपने-अपने विमानके शिखर तक | 10 राजू | धूम्रप्रभा | किंचिदून-पल्य | सामान्य नियम के अनुसार स्व स्व योग्य |
नव ग्रैवेयक | धूम्रप्रभा | सर्वत्र अपने-अपने विमानके शिखर तक | 11 राजू | तमप्रभा | किंचिदून-पल्य | सामान्य नियम के अनुसार स्व स्व योग्य |
नवअनुदिश | महातमप्रभा ( हरिवंशपुराण 6,116 ) | सर्वत्र अपने-अपने विमानके शिखर तक | कुछ अधिक 13 राजू | वातवलय रहित लोकनाड़ी | किंचिदून-पल्य | सामान्य नियम के अनुसार स्व स्व योग्य |
पंच अनुत्तर | वातवलय रहित लोक नाड़ी | सर्वत्र अपने-अपने विमानके शिखर तक | कुछ कम 14 राजू | वातवलय सहित लोकनाड़ी | किंचिदून-पल्य | सामान्य नियम के अनुसार स्व स्व योग्य |