मंदोदरी: Difference between revisions
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<p class="HindiText"> दक्षिण श्रेणी के राजा मय की पुत्री तथा रावण की पटरानी।(8/80-81)। रावण की मृत्यु तथा पुत्रों आदि के वियोग से दुःखी होकर दीक्षा ले ली। (78/94)।</p> | <p class="HindiText"> दक्षिण श्रेणी के राजा मय की पुत्री तथा रावण की पटरानी।(8/80-81)। रावण की मृत्यु तथा पुत्रों आदि के वियोग से दुःखी होकर दीक्षा ले ली। (78/94)।</p> | ||
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<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) साकेत के राजा सगर की प्रतिहारी । इसने सुलसा के पास जाकर सगर के कुल, रूप, सौंदर्य, पराक्रम, नय, विनय, विभव, बंधु, संपत्ति तथा वर के अन्य गुणों का वर्णन कर उसे सगर में आसक्त किया था । <span class="GRef"> महापुराण 67.220-222 </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 23.50 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) साकेत के राजा सगर की प्रतिहारी । इसने सुलसा के पास जाकर सगर के कुल, रूप, सौंदर्य, पराक्रम, नय, विनय, विभव, बंधु, संपत्ति तथा वर के अन्य गुणों का वर्णन कर उसे सगर में आसक्त किया था । <span class="GRef"> महापुराण 67.220-222 </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 23.50 </span></p> | ||
<p id="2">(2) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी में असुरसंगीत नगर के विद्याधर राजा मय और उसकी रानी हेमवती की पुत्री । इसके पिता दैत्यों के राजा होने से दैत्य नाम से प्रसिद्ध थे । इसका विवाह दशानन के साथ किया गया था । सीता इसी की पुत्री थी । रावण द्वारा सीता का अपहरण किये जाने पर इसने रावण से सीता को लौटाने हेतु निवेदन किया था । इंद्रजित् और मेघनाद इसी के पुत्र थे । पिता और पुत्रों के दीक्षित हो जाने पर यह भी शशिकांता आर्यिका के पास आर्यिका हो गयी थी । <br> | <p id="2">(2) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी में असुरसंगीत नगर के विद्याधर राजा मय और उसकी रानी हेमवती की पुत्री । इसके पिता दैत्यों के राजा होने से दैत्य नाम से प्रसिद्ध थे । इसका विवाह दशानन के साथ किया गया था । सीता इसी की पुत्री थी । रावण द्वारा सीता का अपहरण किये जाने पर इसने रावण से सीता को लौटाने हेतु निवेदन किया था । इंद्रजित् और मेघनाद इसी के पुत्र थे । पिता और पुत्रों के दीक्षित हो जाने पर यह भी शशिकांता आर्यिका के पास आर्यिका हो गयी थी । <br> | ||
<span class="GRef"> महापुराण 8. 17-27, 68.356, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 8.1-3, 47, 80, 73. 93-94, 78.85-94 </span></p> | <span class="GRef"> महापुराण 8. 17-27, 68.356, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_8#1|पद्मपुराण - 8.1-3]],[[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_8#47|पद्मपुराण - 8.47]], 80, 73. 93-94, 78.85-94 </span></p> | ||
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Revision as of 22:27, 17 November 2023
सिद्धांतकोष से
―( पद्मपुराण/सर्ग/श्लोक.)
दक्षिण श्रेणी के राजा मय की पुत्री तथा रावण की पटरानी।(8/80-81)। रावण की मृत्यु तथा पुत्रों आदि के वियोग से दुःखी होकर दीक्षा ले ली। (78/94)।
पुराणकोष से
(1) साकेत के राजा सगर की प्रतिहारी । इसने सुलसा के पास जाकर सगर के कुल, रूप, सौंदर्य, पराक्रम, नय, विनय, विभव, बंधु, संपत्ति तथा वर के अन्य गुणों का वर्णन कर उसे सगर में आसक्त किया था । महापुराण 67.220-222 हरिवंशपुराण 23.50
(2) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी में असुरसंगीत नगर के विद्याधर राजा मय और उसकी रानी हेमवती की पुत्री । इसके पिता दैत्यों के राजा होने से दैत्य नाम से प्रसिद्ध थे । इसका विवाह दशानन के साथ किया गया था । सीता इसी की पुत्री थी । रावण द्वारा सीता का अपहरण किये जाने पर इसने रावण से सीता को लौटाने हेतु निवेदन किया था । इंद्रजित् और मेघनाद इसी के पुत्र थे । पिता और पुत्रों के दीक्षित हो जाने पर यह भी शशिकांता आर्यिका के पास आर्यिका हो गयी थी ।
महापुराण 8. 17-27, 68.356, पद्मपुराण - 8.1-3,पद्मपुराण - 8.47, 80, 73. 93-94, 78.85-94