मय: Difference between revisions
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== सिद्धांतकोष से == | == सिद्धांतकोष से == | ||
<span class="GRef"> पद्मपुराण/8/ </span> | <span class="GRef"> पद्मपुराण/8/ </span>श्लोक<div class="HindiText">–रावण का श्वसुर व मंदोदरी का पिता था।82। रावण की मृत्यु के पश्चात् दीक्षित हो गया।90। | ||
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Revision as of 17:08, 16 November 2022
सिद्धांतकोष से
पद्मपुराण/8/ श्लोक
पुराणकोष से
(1) राजा समुद्रविजय का पुत्र और अरिष्टनेमि का अनुज । हरिवंशपुराण 48.44
(2) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी के असुरसंगीत नगर का विद्याघर । यह दैत्य नाम से प्रसिद्ध था । इसकी हेमवती भार्या तथा मंदोदरी पुत्री थी । यह रावण का सचिव था । इसने राम के योद्धा अंगद के साथ युद्ध किया था । रावण का दाह-संस्कार करने के बाद राम ने इसे पद्मसरोवर पर बंधन-युक्त करने के आदेश दिये थे । बंधन अवस्था में इसने बंधनों से मुक्त होने पर निर्ग्रंथ साधु होकर पाणिपात्र से आहार ग्रहण करने की प्रतिज्ञा की थी । बंधनों से मुक्त होने के पश्चात् भोगों का उपभोग करने के लिए लक्ष्मण के द्वारा निवेदन किये जाने पर प्रतिज्ञानुसार इसने लक्ष्मण से भोगोपभोगों के प्रति निरभिलाषा ही प्रकट की थी । बंधन मुक्त होते ही प्रतिज्ञा के अनुसार मुनि होकर इसने आकाशगामिनी-विद्या द्वारा इच्छानुसार तीर्थंकरों की निर्वाणभूमियों में विहार कर उनके दर्शन किये थे । इसके चरण स्पर्श मात्र से व्याघ्रनगर के राजा सुकांत का पुत्र सिंहेंदु निर्विष हो गया था । अंत में यह पंडितमरण-विधि से मरकर देव हुआ । पद्मपुराण 8.1-3, 62.37, 73.10-12, 78.8-9, 14-15, 24-26, 30-31, 80.141-142, 173-183, 208