मंगलावती: Difference between revisions
From जैनकोष
Anita jain (talk | contribs) mNo edit summary |
Anita jain (talk | contribs) mNo edit summary |
||
Line 2: | Line 2: | ||
== सिद्धांतकोष से == | == सिद्धांतकोष से == | ||
<ol> | <ol> | ||
<li><p class="HindiText">दक्षिण पूर्व विदेह में पूर्व से पश्चिम की ओर आठ क्षेत्र हैं,उनमें आठवां क्षेत्र मंगलावती है । | <li><p class="HindiText">दक्षिण पूर्व विदेह में पूर्व से पश्चिम की ओर आठ क्षेत्र हैं,उनमें आठवां क्षेत्र मंगलावती है । –अधिक जानकारी के लिए देखें [[ लोक#5.2 | लोक - 5.2]]। </li></p> | ||
<li><p class="HindiText"> पूर्व विदेहस्थ आत्मांजन वक्षारका एक कूट व उसका रक्षक देव–देखें [[ लोक#5.4 | लोक - 5.4]]।</li></p> | <li><p class="HindiText"> पूर्व विदेहस्थ आत्मांजन वक्षारका एक कूट व उसका रक्षक देव–देखें [[ लोक#5.4 | लोक - 5.4]]।</li></p> | ||
</ol> | </ol> |
Revision as of 15:53, 11 November 2022
सिद्धांतकोष से
दक्षिण पूर्व विदेह में पूर्व से पश्चिम की ओर आठ क्षेत्र हैं,उनमें आठवां क्षेत्र मंगलावती है । –अधिक जानकारी के लिए देखें लोक - 5.2।
पूर्व विदेहस्थ आत्मांजन वक्षारका एक कूट व उसका रक्षक देव–देखें लोक - 5.4।
पुराणकोष से
(1) पुष्कर द्वीप में पूर्व मेरु संबंधी पूर्व विदेहक्षेत्र का एक देश । रत्नसंचयपुर इसी देश का नगर था यह सीता नदी और निषध पर्वत के मध्य दक्षिणोत्तर दिशा में विस्तृत हैं । महापुराण 7.13-14, 10 114-115, हरिवंशपुराण 5.247-248
(2) धातकीखंड द्वीप के पूर्वार्ध में स्थित मेरु पर्वत के पूर्व विदेह क्षेत्र का एक देश यहाँ भी एक रत्नसंचय नामक नगर था । महापुराण 54.129-130, हरिवंशपुराण 60.57-58, वीरवर्द्धमान चरित्र 4.72
(3) जंबूद्वीप के पूर्व विदेह क्षेत्र में सीता नदी के दक्षिणी तट पर स्थित एक देश । महापुराण 50. 2, पांडवपुराण 5.11