अविरुद्धोपलब्धि हेतु: Difference between revisions
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<span class="HindiText"> हेतु के प्रधान दो भेद होते हैं - उपलब्धि और अनुपलब्धि। उपलब्धिरूप हेतु के दो भेद हैं - अविरुद्ध और विरुद्ध। अविरुद्धरूप उपलब्धि के छह भेद निम्न प्रकार हैं। | <span class="HindiText"> हेतु के प्रधान दो भेद होते हैं - उपलब्धि और अनुपलब्धि। उपलब्धिरूप हेतु के दो भेद हैं - अविरुद्ध और विरुद्ध। अविरुद्धरूप उपलब्धि के छह भेद निम्न प्रकार हैं। | ||
<p class="SanskritText"><span class="GRef"> परीक्षामुख/3/65-77 </span>परिणामी शब्द: कृतकत्वात्, य एवं, स एवं दृष्टो, यथा घट:, कृतकश्चायं, तस्मात्परिणामी, यस्तु न परिणामी स न कृतको दृष्टो यथा बंध्यास्तनंधय:, कृतकश्चायं तस्मात्परिणामी।65। अस्त्यत्र देहिनि बुद्धिर्व्याहारादे:।66। अस्त्यत्र छाया छत्रात् ।67। उदेष्यति शकटं कृतिकोदयात् ।68। उदगाद्भरणि: प्राक्तत एव।69। अस्त्यत्र मातुलिंगे रूपं रसात् ।70। </p> | <p class="SanskritText"><span class="GRef"> परीक्षामुख/3/65-77 </span>परिणामी शब्द: कृतकत्वात्, य एवं, स एवं दृष्टो, यथा घट:, कृतकश्चायं, तस्मात्परिणामी, यस्तु न परिणामी स न कृतको दृष्टो यथा बंध्यास्तनंधय:, कृतकश्चायं तस्मात्परिणामी।65। अस्त्यत्र देहिनि बुद्धिर्व्याहारादे:।66। अस्त्यत्र छाया छत्रात् ।67। उदेष्यति शकटं कृतिकोदयात् ।68। उदगाद्भरणि: प्राक्तत एव।69। अस्त्यत्र मातुलिंगे रूपं रसात् ।70। </p> | ||
<p><strong class="HindiText">विधिरूप या अविरुद्धरूप</strong> | <p><strong class="HindiText">विधिरूप या अविरुद्धरूप उपलब्धि</strong> | ||
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<li>शब्द परिणामी है क्योंकि वह किया हुआ है, जो-जो पदार्थ किया हुआ होता है वह-वह परिणामी होता है; जैसे - घट। शब्द किया हुआ है इसलिए परिणामी है, जो परिणामी नहीं होता वह-वह किया हुआ भी नहीं होता जैसे-बाँझ का पुत्र। यह शब्द किया हुआ है, इसलिए वह परिणामी है।65।</li> | <li>शब्द परिणामी है क्योंकि वह किया हुआ है, जो-जो पदार्थ किया हुआ होता है वह-वह परिणामी होता है; जैसे - घट। शब्द किया हुआ है इसलिए परिणामी है, जो परिणामी नहीं होता वह-वह किया हुआ भी नहीं होता जैसे-बाँझ का पुत्र। यह शब्द किया हुआ है, इसलिए वह परिणामी है।65।</li> |
Revision as of 07:50, 12 November 2022
हेतु के प्रधान दो भेद होते हैं - उपलब्धि और अनुपलब्धि। उपलब्धिरूप हेतु के दो भेद हैं - अविरुद्ध और विरुद्ध। अविरुद्धरूप उपलब्धि के छह भेद निम्न प्रकार हैं।
परीक्षामुख/3/65-77 परिणामी शब्द: कृतकत्वात्, य एवं, स एवं दृष्टो, यथा घट:, कृतकश्चायं, तस्मात्परिणामी, यस्तु न परिणामी स न कृतको दृष्टो यथा बंध्यास्तनंधय:, कृतकश्चायं तस्मात्परिणामी।65। अस्त्यत्र देहिनि बुद्धिर्व्याहारादे:।66। अस्त्यत्र छाया छत्रात् ।67। उदेष्यति शकटं कृतिकोदयात् ।68। उदगाद्भरणि: प्राक्तत एव।69। अस्त्यत्र मातुलिंगे रूपं रसात् ।70।
विधिरूप या अविरुद्धरूप उपलब्धि
- शब्द परिणामी है क्योंकि वह किया हुआ है, जो-जो पदार्थ किया हुआ होता है वह-वह परिणामी होता है; जैसे - घट। शब्द किया हुआ है इसलिए परिणामी है, जो परिणामी नहीं होता वह-वह किया हुआ भी नहीं होता जैसे-बाँझ का पुत्र। यह शब्द किया हुआ है, इसलिए वह परिणामी है।65।
- इस प्राणी में बुद्धि है, क्योंकि यह चलता आदि है।66।
- यहाँ छाया है क्योंकि छाया का कारण छत्र मौजूद है।67।
- मुहूर्त के पश्चात् शकट (रोहिणी) का उदय होगा क्योंकि इस समय कृत्तिका का उदय है।68।
- भरणी का उदय हो चुका क्योंकि इस समय कृत्तिका का उदय है।69।
- इस मातुलिंग (पपीता) में रूप है क्योंकि इसमें रस पाया जाता है।70।
देखें हेतु ।