पापोपदेश: Difference between revisions
From जैनकोष
Bhumi Doshi (talk | contribs) No edit summary |
(Imported from text file) |
||
Line 13: | Line 13: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<div class="HindiText"> <p> अनर्थदंडव्रत के पाँच भेदों में प्रथम भेद । वणिक् अथवा वधक आदि को सावद्य कार्यों में प्रवृत्त कराने वाले पापपूर्ण वचनों का उपदेश पापोपदेश है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 58. 146-148 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> अनर्थदंडव्रत के पाँच भेदों में प्रथम भेद । वणिक् अथवा वधक आदि को सावद्य कार्यों में प्रवृत्त कराने वाले पापपूर्ण वचनों का उपदेश पापोपदेश है । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_58#146|हरिवंशपुराण - 58.146-148]] </span></p> | ||
</div> | </div> | ||
Latest revision as of 15:15, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
देखें अनर्थदंड ।
पुराणकोष से
अनर्थदंडव्रत के पाँच भेदों में प्रथम भेद । वणिक् अथवा वधक आदि को सावद्य कार्यों में प्रवृत्त कराने वाले पापपूर्ण वचनों का उपदेश पापोपदेश है । हरिवंशपुराण - 58.146-148