वराह: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1">(1) एक पर्वत । प्रद्युम्न को मारने के लिए कालसंवर के पुत्र उसे इस पर्वत की गुफा में लाये थे । प्रद्युम्न ने यहाँ के इस नाम के देव से युद्ध किया था । युद्ध मे पराजित करने पर उससे विजयघोष शंख तथा महाजाल ये दो वस्तुएँ यहीं प्राप्त हुई थीं । <span class="GRef"> महापुराण 72. 108-110 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText">(1) एक पर्वत । प्रद्युम्न को मारने के लिए कालसंवर के पुत्र उसे इस पर्वत की गुफा में लाये थे । प्रद्युम्न ने यहाँ के इस नाम के देव से युद्ध किया था । युद्ध मे पराजित करने पर उससे विजयघोष शंख तथा महाजाल ये दो वस्तुएँ यहीं प्राप्त हुई थीं । <span class="GRef"> महापुराण 72. 108-110 </span></p> | ||
<p id="2">(2) इस नाम के पर्वत का निवासी एक देव । यह प्रद्युम्न से पराजित हुआ था । <span class="GRef"> महापुराण 72.108—109 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) इस नाम के पर्वत का निवासी एक देव । यह प्रद्युम्न से पराजित हुआ था । <span class="GRef"> महापुराण 72.108—109 </span></p> | ||
<p id="3">(3) विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी का समूह का नगर । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 22.87 </span></p> | <p id="3" class="HindiText">(3) विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी का समूह का नगर । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_22#87|हरिवंशपुराण - 22.87]] </span></p> | ||
<p id="4">(4) चारुदत्त का मित्र । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 21. 13 </span></p> | <p id="4" class="HindiText">(4) चारुदत्त का मित्र । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_21#13|हरिवंशपुराण - 21.13]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:21, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
विजयार्ध की उत्तर श्रेणी का एक नगर - देखें विद्याधर ।
पुराणकोष से
(1) एक पर्वत । प्रद्युम्न को मारने के लिए कालसंवर के पुत्र उसे इस पर्वत की गुफा में लाये थे । प्रद्युम्न ने यहाँ के इस नाम के देव से युद्ध किया था । युद्ध मे पराजित करने पर उससे विजयघोष शंख तथा महाजाल ये दो वस्तुएँ यहीं प्राप्त हुई थीं । महापुराण 72. 108-110
(2) इस नाम के पर्वत का निवासी एक देव । यह प्रद्युम्न से पराजित हुआ था । महापुराण 72.108—109
(3) विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी का समूह का नगर । हरिवंशपुराण - 22.87
(4) चारुदत्त का मित्र । हरिवंशपुराण - 21.13