द्विकावली व्रत: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
इसकी तीन प्रकार विधि है बृहद्, मध्यम व | <span class="HindiText"> इसकी तीन प्रकार विधि है बृहद्, मध्यम व जघन्य।–<br> | ||
1. तहाँ एक बेला एक पारणा के क्रम से 48 बेले करना बृहद् विधि है। <br> | |||
2. एक वर्ष पर्यंत प्रतिमास शुक्ल 1-2; 5-6; 8-9 व 14-15 तथा कृष्ण 4-5; 8-9; 14-15 इस प्रकार 7 बेले करे। 12 मास के 84 बेले करना मध्यम विधि है। <br> | |||
3.एक बेला, 2 पारणा, 1 एकाशना का क्रम 24 बार दोहराये। इस प्रकार 120 दिन में 24 बेले करना जघन्य विधि है।–सर्वत्र नमस्कार मंत्र का त्रिकाल जाप्य करे। (<span class="GRef"> हरिवंशपुराण/34/68 –केवल बृहद् विधि); (व्रत-विधान संग्रह/पृ.77-78); (नवलसाह कृत वर्धमान पुराण)</span> | |||
<noinclude> | <noinclude> |
Revision as of 11:45, 14 August 2023
इसकी तीन प्रकार विधि है बृहद्, मध्यम व जघन्य।–
1. तहाँ एक बेला एक पारणा के क्रम से 48 बेले करना बृहद् विधि है।
2. एक वर्ष पर्यंत प्रतिमास शुक्ल 1-2; 5-6; 8-9 व 14-15 तथा कृष्ण 4-5; 8-9; 14-15 इस प्रकार 7 बेले करे। 12 मास के 84 बेले करना मध्यम विधि है।
3.एक बेला, 2 पारणा, 1 एकाशना का क्रम 24 बार दोहराये। इस प्रकार 120 दिन में 24 बेले करना जघन्य विधि है।–सर्वत्र नमस्कार मंत्र का त्रिकाल जाप्य करे। ( हरिवंशपुराण/34/68 –केवल बृहद् विधि); (व्रत-विधान संग्रह/पृ.77-78); (नवलसाह कृत वर्धमान पुराण)