रुचि: Difference between revisions
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<span class="GRef"> धवला 1/1, 11/166/7 </span><span class="SanskritText">दृष्टिः श्रद्धा रुचिः प्रत्यय इति यावत्। </span>=<span class="HindiText"> दृष्टि, श्रद्धा, रुचि और प्रत्यय ये पर्यायवाची हैं। </span><br /> | <span class="GRef"> धवला 1/1, 11/166/7 </span><span class="SanskritText">दृष्टिः श्रद्धा रुचिः प्रत्यय इति यावत्। </span>=<span class="HindiText"> दृष्टि, श्रद्धा, रुचि और प्रत्यय ये पर्यायवाची हैं। </span><br /> | ||
<span class="GRef"> द्रव्यसंग्रह टीका/41/165/1 </span><span class="SanskritText">श्रद्धानं रुचिर्निश्चय इदमेवेत्थमेवेति। </span>= <span class="HindiText">श्रद्धान, रुचि, निश्चय अथवा जो जिनेंद्र ने कहा वही है....। </span><br /> | <span class="GRef"> द्रव्यसंग्रह टीका/41/165/1 </span><span class="SanskritText">श्रद्धानं रुचिर्निश्चय इदमेवेत्थमेवेति। </span>= <span class="HindiText">श्रद्धान, रुचि, निश्चय अथवा जो जिनेंद्र ने कहा वही है....। </span><br /> |
Revision as of 20:22, 18 August 2023
सिद्धांतकोष से
देखें नि:शंकित - 1 (वस्तु का स्वरूप ऐसा ही है इस प्रकार अकंप रुचि होना नि:शंकित अंग है।)
धवला 1/1, 11/166/7 दृष्टिः श्रद्धा रुचिः प्रत्यय इति यावत्। = दृष्टि, श्रद्धा, रुचि और प्रत्यय ये पर्यायवाची हैं।
द्रव्यसंग्रह टीका/41/165/1 श्रद्धानं रुचिर्निश्चय इदमेवेत्थमेवेति। = श्रद्धान, रुचि, निश्चय अथवा जो जिनेंद्र ने कहा वही है....।
पंचाध्यायी / उत्तरार्ध/412 सात्म्यं रुचिः। = तत्त्वार्थों के विषय में तन्मयपना रुचि कहलाती है।
पुराणकोष से
सम्यग्दर्शन की चार पर्यायों-श्रद्धा, रुचि, स्पर्श और प्रत्यय मे दूसरी पर्याय का नाम । महापुराण 9.123