शतपर्वा: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> विद्याधरों की विद्याएं । ये विद्याएँ शक्ति रूप होती हैं ।एकपर्वा, द्विपर्वा, त्रिपर्वा, दशपर्वा, <strong>शतपर्वा</strong>, सहस्रपर्वा, लक्षपर्वा, उत्पातिनी, त्रिपातिनी, धारिणी, अंतविचारिणी, जलगति और अग्निगति समस्त निकायों में नाना प्रकार की शक्तियों से सहित नाना पर्वतों पर निवास करने वाली एवं नाना औषधियों की जानकार हैं। <span class="GRef"> (पद्मपुराण 7.325-334, हरिवंशपुराण 22.57-73) </span></p> | <div class="HindiText"> <p> विद्याधरों की विद्याएं । ये विद्याएँ शक्ति रूप होती हैं ।एकपर्वा, द्विपर्वा, त्रिपर्वा, दशपर्वा, <strong>शतपर्वा</strong>, सहस्रपर्वा, लक्षपर्वा, उत्पातिनी, त्रिपातिनी, धारिणी, अंतविचारिणी, जलगति और अग्निगति समस्त निकायों में नाना प्रकार की शक्तियों से सहित नाना पर्वतों पर निवास करने वाली एवं नाना औषधियों की जानकार हैं। <span class="GRef"> (पद्मपुराण 7.325-334), (हरिवंशपुराण 22.57-73) </span></p> | ||
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Revision as of 14:39, 22 December 2022
सिद्धांतकोष से
(हरिवंशपुराण/22/51-73)
-देखें विद्या ।
पुराणकोष से
विद्याधरों की विद्याएं । ये विद्याएँ शक्ति रूप होती हैं ।एकपर्वा, द्विपर्वा, त्रिपर्वा, दशपर्वा, शतपर्वा, सहस्रपर्वा, लक्षपर्वा, उत्पातिनी, त्रिपातिनी, धारिणी, अंतविचारिणी, जलगति और अग्निगति समस्त निकायों में नाना प्रकार की शक्तियों से सहित नाना पर्वतों पर निवास करने वाली एवं नाना औषधियों की जानकार हैं। (पद्मपुराण 7.325-334), (हरिवंशपुराण 22.57-73)