अपादान कारक: Difference between revisions
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<p class="SanskritText">प्रवचनसार / तत्त्वप्रदीपिका / गाथा 16 शुद्धानंतशक्तिज्ञानविपरिणमनस्वभावसमये पूर्वप्रवृत्तविकलज्ञानस्वभावापगमेऽपि सहजज्ञानस्वभावेनध्रुवत्वालंबनादपादानत्वमुपाददानः।</p> | <p class="SanskritText">प्रवचनसार / तत्त्वप्रदीपिका / गाथा 16 शुद्धानंतशक्तिज्ञानविपरिणमनस्वभावसमये पूर्वप्रवृत्तविकलज्ञानस्वभावापगमेऽपि सहजज्ञानस्वभावेनध्रुवत्वालंबनादपादानत्वमुपाददानः।</p> | ||
<p class="HindiText">= शुद्धानंत शक्तिमय ज्ञान रूप से परिणमित होने के समय पूर्व में प्रवर्तमान विकल | <p class="HindiText">= शुद्धानंत शक्तिमय ज्ञान रूप से परिणमित होने के समय पूर्व में प्रवर्तमान विकल ज्ञान स्वभाव का नाश होने पर भी सहज ज्ञान स्वभाव से स्वयं ही ध्रुवता का अवलंबन करने से (आत्मा) अपादानता को धारण करता है।</p> | ||
Revision as of 18:15, 14 December 2022
प्रवचनसार / तत्त्वप्रदीपिका / गाथा 16 शुद्धानंतशक्तिज्ञानविपरिणमनस्वभावसमये पूर्वप्रवृत्तविकलज्ञानस्वभावापगमेऽपि सहजज्ञानस्वभावेनध्रुवत्वालंबनादपादानत्वमुपाददानः।
= शुद्धानंत शक्तिमय ज्ञान रूप से परिणमित होने के समय पूर्व में प्रवर्तमान विकल ज्ञान स्वभाव का नाश होने पर भी सहज ज्ञान स्वभाव से स्वयं ही ध्रुवता का अवलंबन करने से (आत्मा) अपादानता को धारण करता है।