अग्निभूति: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1">(1) मगध देश में शालिग्राम के निवासी सोमदेव ब्राह्मण और उसकी पत्नी अग्निला का पुत्र, वायुभूति का सहोदर । नंदिवर्द्धन मुनि-संघ के सत्यक मुनि से वाद-विवाद में पराजित होने तथा उनके द्वारा पूर्वभव में शृगाल होना बताये जाने के कारण लड़ना एव द्वेष से इसने सत्यक मुनि को मारने का उद्यम किया था जिसके फलस्वरूप यक्ष द्वारा इसे स्तंभित कर दिये जाने पर इसके माता-पिता के विशेष निवेदन से इसे उत्कीलित किया गया था । इसके पश्चात् यह मुनि हो गया और आयु का अंत होने पर सौधर्म स्वर्ग में पारिषद् जाति का देव हुआ । <span class="GRef"> महापुराण 72.3-24, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 109.35-61, 92.130 | <div class="HindiText"> <p id="1">(1) मगध देश में शालिग्राम के निवासी सोमदेव ब्राह्मण और उसकी पत्नी अग्निला का पुत्र, वायुभूति का सहोदर । नंदिवर्द्धन मुनि-संघ के सत्यक मुनि से वाद-विवाद में पराजित होने तथा उनके द्वारा पूर्वभव में शृगाल होना बताये जाने के कारण लड़ना एव द्वेष से इसने सत्यक मुनि को मारने का उद्यम किया था जिसके फलस्वरूप यक्ष द्वारा इसे स्तंभित कर दिये जाने पर इसके माता-पिता के विशेष निवेदन से इसे उत्कीलित किया गया था । इसके पश्चात् यह मुनि हो गया और आयु का अंत होने पर सौधर्म स्वर्ग में पारिषद् जाति का देव हुआ । <span class="GRef"> महापुराण 72.3-24, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_109#35|पद्मपुराण - 109.35-61]],[[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_92#130|पद्मपुराण - 92.130]]</span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 43 100, 136-146 </span></p> | ||
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<p id="3">(3) तीर्थंकर महावीर के तीसरे गणधर । <span class="GRef"> महापुराण0 74.273 </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 19.206-207 </span>देखें [[ महावीर ]]</p> | <p id="3">(3) तीर्थंकर महावीर के तीसरे गणधर । <span class="GRef"> महापुराण0 74.273 </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 19.206-207 </span>देखें [[ महावीर ]]</p> |
Revision as of 22:14, 17 November 2023
सिद्धांतकोष से
हरिवंश पुराण सर्ग 43/100,136-146
मगधदेश शालिग्राम निवासी सोमदेव ब्राह्मण का पुत्र था। मुनियों से पूर्वभव का श्रवण कर लज्जा एवं द्वेष पूर्वक मुनि हत्या का उद्यम करने पर यक्ष-द्वारा कील दिया गया। मुनि की दया से छूटनेपर अणुव्रत ग्रहण कर अंत में सौधर्म स्वर्ग में देव हुआ।
पुराणकोष से
(1) मगध देश में शालिग्राम के निवासी सोमदेव ब्राह्मण और उसकी पत्नी अग्निला का पुत्र, वायुभूति का सहोदर । नंदिवर्द्धन मुनि-संघ के सत्यक मुनि से वाद-विवाद में पराजित होने तथा उनके द्वारा पूर्वभव में शृगाल होना बताये जाने के कारण लड़ना एव द्वेष से इसने सत्यक मुनि को मारने का उद्यम किया था जिसके फलस्वरूप यक्ष द्वारा इसे स्तंभित कर दिये जाने पर इसके माता-पिता के विशेष निवेदन से इसे उत्कीलित किया गया था । इसके पश्चात् यह मुनि हो गया और आयु का अंत होने पर सौधर्म स्वर्ग में पारिषद् जाति का देव हुआ । महापुराण 72.3-24, पद्मपुराण - 109.35-61,पद्मपुराण - 92.130 हरिवंशपुराण 43 100, 136-146
(2) वृषभदेव के चौदहवें गणधर । हरिवंशपुराण 12.55-57
(3) तीर्थंकर महावीर के तीसरे गणधर । महापुराण0 74.273 वीरवर्द्धमान चरित्र 19.206-207 देखें महावीर
(4) भरतक्षेत्र के श्वेतिका नगर का निवासी एक ब्राह्मण । इसकी पत्नी का नाम गौतमी था । महावीर के पूर्वभव के जीव अग्निसह के ये दोनों भाता-पिता थे । महापुराण 74.74 वीरवर्द्धमान चरित्र 2.117-118
(5) वत्सापुरी का ब्राह्मण । इसका अपरनाम अग्निमित्र था । महापुराण 75.71-745
(6) मगधदेश के अचलग्राम के निवासी धरणीजट ब्राह्मण और अग्निला ब्राह्मणी का पुत्र, इंद्रभूति का सहोदर । महापुराण 62.325-326
(7) चंपापुर के सोमदेव ब्राह्मण का साला, सोमिला का भाई, अग्निला का पति और धनश्री, मित्रश्री तथा नागश्री का पिता । महापुराण 72.228-280 सोमदत्त, सोमिल और सोमभूति इसके भानेज थे । इसने अपनी तीनों पुत्रियों का क्रमश: इन्हीं भानेजों के साथ विवाह कर दिया था । सोमदत्त आदि तीनों भाई मुनि हो गये और सन्यास पूर्वक मरकर आरणाच्युत स्वर्ग में देव हुए । धनश्री और मित्रश्री भी महाव्रतों को धारण कर इसी स्वर्ग में सामानिक देव हुई थी । नागश्री मुनि को विष मिश्रित आहार देने के फलस्वरूप धूमप्रभा नरक को प्राप्त हुई । हरिवंशपुराण 64.4-11, 113, पापू0 23. 111-114
(8) इंद्र की प्रेरणा से इंद्रभूति और वायुभूति के साथ महावीर के समवसरण में आया एक पंडित । इसने वस्त्र आदि त्याग कर समवसरण में संयम धारण किया था । हरिवंशपुराण 2.68-69