Test5: Difference between revisions
From जैनकोष
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
{| class="wikitable" | {| class="wikitable" | ||
Line 174: | Line 155: | ||
<p class="HindiText" id="5.5">5. अनुभाग विषयक अन्य प्ररूपणाओं का सूचीपत्र</p> | |||
{| class="wikitable" | |||
|+ Caption text | |||
|- | |||
! नाम प्रकृति !! विषय !! जघन्य उत्कृष्ठ पद !! भुजगारादि पद !! जघन्य उत्कृष्ठ वृद्धि !! षड्गुण वृद्धि | |||
|- | |||
|.-- || --|| महाबंध पुस्तक $...पृष्ठ || महाबंध पुस्तक $...पृष्ठ || महाबंध पुस्तक $...पृष्ठ ||महाबंध पुस्तक $...पृष्ठ | |||
|- | |||
| 1. मूल प्रकृति || संनिकर्ष|| 4/172-181/74-79|| --|| --|| -- | |||
|- | |||
| || भंगविचय|| 4/182-185/79-81|| 4/285/131-132|| --|| -- | |||
|- | |||
| || अनुभाग अध्यवसाय स्थान संबंधी सर्व प्ररूपणाएँ|| 4/371-386/168-176|| --|| --|| 4/360-361/163-164 | |||
|- | |||
| 2. उत्तरप्रकृति|| संनिकर्ष|| 5/1-308/1-126|| --|| --|| -- | |||
|- | |||
| --|| भंगविचय|| 5/309-313/126-129|| 5/492-497/276-78|| --|| 5/617/362 | |||
|- | |||
| --|| अनुभाग अध्यवसाय स्थान संबंधी सर्व प्ररूपणाएँ|| 5/626-658/372-398|| --|| --|| -- | |||
|} | |||
Revision as of 19:03, 21 December 2022
नाम प्रकृति | उत्कृष्ठ अनुभाग | जघन्य अनुभाग |
---|---|---|
ज्ञानावरणीय 5 | तीव्र संक्लेश या कषाययुक्त जीव; चतुर्गति के जीव; मिथ्यादृष्टि | सूक्ष्मसांपराय का चरम समय |
दर्शनावरणीय 4 | तीव्र संक्लेश या कषाययुक्त जीव; चतुर्गति के जीव; मिथ्यादृष्टि | सूक्ष्मसांपराय का चरम समय |
निद्रा, प्रचला | तीव्र संक्लेश या कषाययुक्त जीव; चतुर्गति के जीव; मिथ्यादृष्टि | अपूर्वकरण गुणस्थान में उस प्रकृति की बंधव्युच्छित्ति से पहला समय; |
निद्रा निद्रा, प्रचला प्रचला | तीव्र संक्लेश या कषाययुक्त जीव; चतुर्गति के जीव; मिथ्यादृष्टि | सातिशय मिथ्यादृष्टि;/चरम |
स्त्यानगृद्धि | तीव्र संक्लेश या कषाययुक्त जीव; चतुर्गति के जीव; मिथ्यादृष्टि | सातिशय मिथ्यादृष्टि;/चरम |
अंतराय 5 | तीव्र संक्लेश या कषाययुक्त जीव; चतुर्गति के जीव; मिथ्यादृष्टि | सूक्ष्मसांपराय का चरम समय |
मिथ्यात्व | तीव्र संक्लेश या कषाययुक्त जीव; चतुर्गति के जीव; मिथ्यादृष्टि | सातिशय मिथ्यादृष्टि;/चरम |
अनंतानुबंधी चतु. | तीव्र संक्लेश या कषाययुक्त जीव; चतुर्गति के जीव; मिथ्यादृष्टि | सातिशय मिथ्यादृष्टि;/चरम |
अप्रत्याख्यान चतु. | तीव्र संक्लेश या कषाययुक्त जीव; चतुर्गति के जीव; मिथ्यादृष्टि | प्रमत्तसंयत सन्मुख अनिवृत्तिकरण गुणस्थान में उस प्रकृति की बंध व्युच्छित्ति से पहला समय; |
प्रत्याख्यान चतु. | तीव्र संक्लेश या कषाययुक्त जीव; चतुर्गति के जीव; मिथ्यादृष्टि | प्रमत्तसंयत सन्मुख अनिवृत्तिकरण गुणस्थान में उस प्रकृति की बंध व्युच्छित्ति से पहला समय; |
संज्वलन चतु. | तीव्र संक्लेश या कषाययुक्त जीव; चतुर्गति के जीव; मिथ्यादृष्टि | अनिवृत्तिकरण गुणस्थान में उस प्रकृति की बंध व्युच्छित्ति से पहला समय; |
हास्य, रति | तीव्र संक्लेश या कषाययुक्त जीव; चतुर्गति के जीव; मिथ्यादृष्टि | अपूर्वकरण गुणस्थान में उस प्रकृति की बंधव्युच्छित्ति से पहला समय; |
अरति, शोक | तीव्र संक्लेश या कषाययुक्त जीव; चतुर्गति के जीव; मिथ्यादृष्टि | अप्रमत्तसंयत सन्मुख प्रमत्तसंयत |
भय, जुगुप्सा | तीव्र संक्लेश या कषाययुक्त जीव; चतुर्गति के जीव; मिथ्यादृष्टि | अपूर्वकरण गुणस्थान में उस प्रकृति की बंधव्युच्छित्ति से पहला समय; |
स्त्री, नपुंसक वेद | तीव्र संक्लेश या कषाययुक्त जीव; चतुर्गति के जीव; मिथ्यादृष्टि | तीव्र संक्लेश या कषाययुक्त जीव; चतुर्गति के जीव; मिथ्यादृष्टि |
पुरुष वेद | तीव्र संक्लेश या कषाययुक्त जीव; चतुर्गति के जीव; मिथ्यादृष्टि | अनिवृत्तिकरण गुणस्थान में उस प्रकृति की बंध व्युच्छित्ति से पहला समय; |
साता | क्षपकश्रेणी | मध्य परिणामों युक्त जीव;मिथ्यादृष्टि;सम्यग्दृष्टि |
असाता | तीव्र संक्लेश या कषाययुक्त जीव; चतुर्गति के जीव; मिथ्यादृष्टि | मध्य परिणामों युक्त जीव;मिथ्यादृष्टि;सम्यग्दृष्टि |
नरकायु | मिथ्यादृष्टि;मनुष्य,तिर्यंच; | मध्य परिणामों युक्त जीव;मिथ्यादृष्टि;सम्यग्दृष्टि |
तिर्यंचायु | मिथ्यादृष्टि;मनुष्य,तिर्यंच; | मध्य परिणामों युक्त जीव;मिथ्यादृष्टि;सम्यग्दृष्टि |
मनुष्यायु | मिथ्यादृष्टि;मनुष्य,तिर्यंच; | मध्य परिणामों युक्त जीव;मिथ्यादृष्टि;सम्यग्दृष्टि |
देवायु | अपूर्वकरण गुणस्थान में उस प्रकृति की बंधव्युच्छित्ति से पहला समय | मध्य परिणामों युक्त जीव;मिथ्यादृष्टि;सम्यग्दृष्टि |
नरक द्विक | मिथ्यादृष्टि;मनुष्य,तिर्यंच; | मध्य परिणामों युक्त जीव;मिथ्यादृष्टि;सम्यग्दृष्टि |
तिर्यक् द्विक | मिथ्यादृष्टि;मनुष्य,तिर्यंच; | सप्तम पू. नारकी. |
मनुष्य द्विक | सम्यग्दृष्टि देव, नारकी | मध्य परिणामों युक्त जीव;मिथ्यादृष्टि; |
देव द्विक | क्षपकश्रेणी | मिथ्यादृष्टि, तिर्यंच, मनुष्य |
एकेंद्रिय जाति | मिथ्यादृष्टि देव | मध्य परिणामों युक्त जीव मिथ्यादृष्टि मनुष्य,तिर्यंच;देव, नारकी |
2-4 इंद्रिय जाति | मिथ्यादृष्टि;मनुष्य,तिर्यंच; | मिथ्यादृष्टि मनुष्य,तिर्यंच |
पंचेंद्रिय जाति | क्षपकश्रेणी | तीव्र संक्लेश या कषाययुक्त जीव; चतुर्गति के जीव; मिथ्यादृष्टि |
औदारिक द्विक | सम्यग्दृष्टि देव, नारकी | मिथ्यादृष्टि देव, नारकी |
वैक्रियक द्विक | क्षपकश्रेणी | मिथ्यादृष्टि मनुष्य,तिर्यंच |
आहारक द्विक | क्षपकश्रेणी | मिथ्यादृष्टि मनुष्य,तिर्यंच |
तैजस शरीर | क्षपकश्रेणी | तीव्र संक्लेश या कषाययुक्त जीव; चतुर्गति के जीव; मिथ्यादृष्टि |
कार्मण शरीर | क्षपकश्रेणी | तीव्र संक्लेश या कषाययुक्त जीव; चतुर्गति के जीव; मिथ्यादृष्टि |
निर्माण | क्षपकश्रेणी | तीव्र संक्लेश या कषाययुक्त जीव; चतुर्गति के जीव; मिथ्यादृष्टि |
प्रशस्त वर्णादि 4 | क्षपकश्रेणी | तीव्र संक्लेश या कषाययुक्त जीव; चतुर्गति के जीव; मिथ्यादृष्टि |
अप्रशस्त वर्णादि 4 | तीव्र संक्लेश या कषाययुक्त जीव; चतुर्गति के जीव; मिथ्यादृष्टि | अपूर्वकरण गुणस्थान में उस प्रकृति की बंधव्युच्छित्ति से पहला समय; मध्य परिणामों युक्त जीव;. मिथ्यादृष्टि |
सम चतुरस्र संस्थान | क्षपकश्रेणी | मध्य परिणामों युक्त जीव; मिथ्यादृष्टि |
शेष पाँच संस्थान | तीव्र संक्लेश या कषाययुक्त जीव; चतुर्गति के जीव; मिथ्यादृष्टि | मध्य परिणामों युक्त जीव; मिथ्यादृष्टि |
वज्र ऋषभ नाराच | सम्यग्दृष्टि देव, नारकी | मध्य परिणामों युक्त जीव; मिथ्यादृष्टि |
वज्र नाराच आदि 4 | सम्यग्दृष्टि देव, नारकी | मध्य परिणामों युक्त जीव; मिथ्यादृष्टि |
असंप्राप्त सृपाटिका | मिथ्यादृष्टि देव, नारकी | मध्य परिणामों युक्त जीव; मिथ्यादृष्टि |
अगुरुलघु | क्षपकश्रेणी | तीव्र संक्लेश या कषाययुक्त जीव; चतुर्गति के जीव; मिथ्यादृष्टि |
उपघात | तीव्र संक्लेश या कषाययुक्त जीव; चतुर्गति के जीव; मिथ्यादृष्टि | अपूर्वकरण गुणस्थान में उस प्रकृति की बंधव्युच्छित्ति से पहला समय; |
परघात | क्षपकश्रेणी | तीव्र संक्लेश या कषाययुक्त जीव; चतुर्गति के जीव; मिथ्यादृष्टि |
आतप | मिथ्यादृष्टि देव | तीव्र संक्लेश या कषाययुक्त जीव;मिथ्यादृष्टि भवनत्रिक से ईशान |
उद्योत | मिथ्यादृष्टि देव | मिथ्यादृष्टि देव, नारकी |
उच्छ्वास | सूक्ष्मसांपराय का चरम समय | तीव्र संक्लेश या कषाययुक्त जीव; चतुर्गति के जीव; मिथ्यादृष्टि |
प्रशस्त विहायोगति | क्षपकश्रेणी | मध्य परिणामों युक्त जीव;मिथ्यादृष्टि |
अप्रशस्त विहायोगति | तीव्र संक्लेश या कषाययुक्त जीव; चतुर्गति के जीव; मिथ्यादृष्टि | मध्य परिणामों युक्त जीव;मिथ्यादृष्टि |
प्रत्येक | क्षपकश्रेणी | तीव्र संक्लेश या कषाययुक्त जीव; चतुर्गति के जीव; मिथ्यादृष्टि |
साधारण | मिथ्यादृष्टि मनुष्य,तिर्यंच | मिथ्यादृष्टि मनुष्य,तिर्यंच |
त्रस | क्षपकश्रेणी | |
स्थावर | मिथ्यादृष्टि देव | मध्य परिणामों युक्त जीव;मिथ्यादृष्टि देव मनुष्य,तिर्यंच |
सुभग | क्षपकश्रेणी | मध्य परिणामों युक्त जीव;मिथ्यादृष्टि |
दुर्भग | तीव्र संक्लेश या कषाययुक्त जीव; चतुर्गति के जीव; मिथ्यादृष्टि | मध्य परिणामों युक्त जीव;मिथ्यादृष्टि |
सुस्वर | क्षपकश्रेणी | मध्य परिणामों युक्त जीव;मिथ्यादृष्टि |
दुस्स्वर | तीव्र संक्लेश या कषाययुक्त जीव; चतुर्गति के जीव; मिथ्यादृष्टि | मध्य परिणामों युक्त जीव;मिथ्यादृष्टि |
शुभ | क्षपकश्रेणी | मध्य परिणामों युक्त जीव;मिथ्यादृष्टि, सम्यग्दृष्टि |
अशुभ | तीव्र संक्लेश या कषाययुक्त जीव; चतुर्गति के जीव; मिथ्यादृष्टि | मध्य परिणामों युक्त जीव;मिथ्यादृष्टि, सम्यग्दृष्टि |
सूक्ष्म | मिथ्यादृष्टि मनुष्य,तिर्यंच | मिथ्यादृष्टि मनुष्य,तिर्यंच |
बादर | क्षपकश्रेणी | तीव्र संक्लेश या कषाययुक्त जीव; चतुर्गति के जीव; मिथ्यादृष्टि |
पर्याप्त | क्षपकश्रेणी | तीव्र संक्लेश या कषाययुक्त जीव; चतुर्गति के जीव; मिथ्यादृष्टि |
अपर्याप्त | मिथ्यादृष्टि मनुष्य,तिर्यंच | मिथ्यादृष्टि मनुष्य,तिर्यंच |
स्थिर | क्षपकश्रेणी | मध्य परिणामों युक्त जीव;मिथ्यादृष्टि, सम्यग्दृष्टि |
अस्थिर | तीव्र संक्लेश या कषाययुक्त जीव; चतुर्गति के जीव; मिथ्यादृष्टि | मध्य परिणामों युक्त जीव;मिथ्यादृष्टि, सम्यग्दृष्टि |
आदेय | क्षपकश्रेणी | मध्य परिणामों युक्त जीव;मिथ्यादृष्टि, सम्यग्दृष्टि |
अनादेय | तीव्र संक्लेश या कषाययुक्त जीव; चतुर्गति के जीव; मिथ्यादृष्टि | मध्य परिणामों युक्त जीव;मिथ्यादृष्टि, सम्यग्दृष्टि |
यशःकीर्ति | क्षपकश्रेणी | मध्य परिणामों युक्त जीव;मिथ्यादृष्टि, सम्यग्दृष्टि |
अयशःकीर्ति | तीव्र संक्लेश या कषाययुक्त जीव; चतुर्गति के जीव; मिथ्यादृष्टि | मध्य परिणामों युक्त जीव;मिथ्यादृष्टि, सम्यग्दृष्टि |
तीर्थंकर | क्षपकश्रेणी | नारकी सन्मुख अविरतसम्यग्दृष्टि |
उच्च गोत्र | क्षपकश्रेणी | मध्य परिणामों युक्त जीव;मिथ्यादृष्टि |
नीच गोत्र | तीव्र संक्लेश या कषाययुक्त जीव; चतुर्गति के जीव; मिथ्यादृष्टि | सप्तम पृथ्वी नारकी मिथ्यादृष्टि |
अंतराय 5 | तीव्र संक्लेश या कषाययुक्त जीव; चतुर्गति के जीव; मिथ्यादृष्टि | अपूर्वकरण गुणस्थान में उस प्रकृति की बंधव्युच्छित्ति से पहला समय; |
5. अनुभाग विषयक अन्य प्ररूपणाओं का सूचीपत्र
नाम प्रकृति | विषय | जघन्य उत्कृष्ठ पद | भुजगारादि पद | जघन्य उत्कृष्ठ वृद्धि | षड्गुण वृद्धि |
---|---|---|---|---|---|
.-- | -- | महाबंध पुस्तक $...पृष्ठ | महाबंध पुस्तक $...पृष्ठ | महाबंध पुस्तक $...पृष्ठ | महाबंध पुस्तक $...पृष्ठ |
1. मूल प्रकृति | संनिकर्ष | 4/172-181/74-79 | -- | -- | -- |
भंगविचय | 4/182-185/79-81 | 4/285/131-132 | -- | -- | |
अनुभाग अध्यवसाय स्थान संबंधी सर्व प्ररूपणाएँ | 4/371-386/168-176 | -- | -- | 4/360-361/163-164 | |
2. उत्तरप्रकृति | संनिकर्ष | 5/1-308/1-126 | -- | -- | -- |
-- | भंगविचय | 5/309-313/126-129 | 5/492-497/276-78 | -- | 5/617/362 |
-- | अनुभाग अध्यवसाय स्थान संबंधी सर्व प्ररूपणाएँ | 5/626-658/372-398 | -- | -- | -- |