अनैकाग्रय: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> प्रोषधोपवास व्रत का एक अतिचार व्रत में चित्त की एकाग्रता नहीं रखना । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 58.181 </span><br> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> प्रोषधोपवास व्रत का एक अतिचार व्रत में चित्त की एकाग्रता नहीं रखना । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_58#181|हरिवंशपुराण - 58.181]] </span><br> | ||
अंतकृत― <p class="HindiText" id="1">(1) कर्मों का क्षय करके मोक्ष के प्राप्तकर्ता केवली-मुनि । मुनियों का ‘‘अंतकृत्सिद्धेभ्यो नमो नम:’’ इस पीठिका मंत्र से नमन किया जाता है । <span class="GRef"> महापुराण 40.20, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 61.7 </span></p> | अंतकृत― <p class="HindiText" id="1">(1) कर्मों का क्षय करके मोक्ष के प्राप्तकर्ता केवली-मुनि । मुनियों का ‘‘अंतकृत्सिद्धेभ्यो नमो नम:’’ इस पीठिका मंत्र से नमन किया जाता है । <span class="GRef"> महापुराण 40.20, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_61#7|हरिवंशपुराण - 61.7]] </span></p> | ||
<p class="HindiText"id="2">(2) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । <span class="GRef"> महापुराण 25.168 </span></p> | <p class="HindiText"id="2">(2) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । <span class="GRef"> महापुराण 25.168 </span></p> | ||
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Latest revision as of 14:39, 27 November 2023
प्रोषधोपवास व्रत का एक अतिचार व्रत में चित्त की एकाग्रता नहीं रखना । हरिवंशपुराण - 58.181
अंतकृत―
(1) कर्मों का क्षय करके मोक्ष के प्राप्तकर्ता केवली-मुनि । मुनियों का ‘‘अंतकृत्सिद्धेभ्यो नमो नम:’’ इस पीठिका मंत्र से नमन किया जाता है । महापुराण 40.20, हरिवंशपुराण - 61.7
(2) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 25.168