असद्भूत नय: Difference between revisions
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<p class="HindiText"> व्यवहार नय के दो भेदों में से एक असद्भूत व्यवहार नय है। </br><span class="GRef">आलापपद्धति/10</span> <span class="SanskritText"> भिन्नवस्तुविषयोऽसद्भूतव्यवहार:। </span>=<span class="HindiText">भिन्न वस्तु को विषय करने वाला असद्भूत व्यवहारनय है। (<span class="GRef"> नयचक्र/श्रुतभवन दीपक/25</span>); (और भी देखें [[ नय#V.4.1 | नय - V.4.1]] व [[ नय#V.4.2 | नय - V.4.2]] )</span><br /> | |||
<span class="GRef">नयचक्र बृहद्/223-225</span> <span class="PrakritGatha">अण्णेसिं अण्णगुणो भणइ असब्भूद तिविह ते दोवि। सज्जाइ इयर मिस्सो णायव्वो तिविहभेयजुदो।223।</span>=<span class="HindiText">अन्य द्रव्य के अन्य गुण कहना असद्भूत व्यवहारनय है। वह तीन प्रकार का है –स्वजाति, विजाति और मिश्र। ये तीनों भी द्रव्य गुण व पर्याय में परस्पर उपचार होने से तीन-तीन प्रकार के हो जाते हैं। (विशेष देखें [[ उपचार#5 | उपचार - 5]])।</span><br /> | <span class="GRef">नयचक्र बृहद्/223-225</span> <span class="PrakritGatha">अण्णेसिं अण्णगुणो भणइ असब्भूद तिविह ते दोवि। सज्जाइ इयर मिस्सो णायव्वो तिविहभेयजुदो।223।</span>=<span class="HindiText">अन्य द्रव्य के अन्य गुण कहना असद्भूत व्यवहारनय है। वह तीन प्रकार का है –स्वजाति, विजाति और मिश्र। ये तीनों भी द्रव्य गुण व पर्याय में परस्पर उपचार होने से तीन-तीन प्रकार के हो जाते हैं। (विशेष देखें [[ उपचार#5 | उपचार - 5]])।</span><br /> | ||
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असद्भूत व्यवहार नय की अन्य परिभाषाओं तथा नय के सम्बन्ध में विशेष जानकारी हेतु देखें [[ नय#V.5 | नय - V.5]]</span></p> | <p class="HindiText">असद्भूत व्यवहार नय की अन्य परिभाषाओं तथा नय के सम्बन्ध में विशेष जानकारी हेतु देखें [[ नय#V.5 | नय - V.5]]</span></p> | ||
Revision as of 11:52, 30 December 2022
व्यवहार नय के दो भेदों में से एक असद्भूत व्यवहार नय है।
आलापपद्धति/10 भिन्नवस्तुविषयोऽसद्भूतव्यवहार:। =भिन्न वस्तु को विषय करने वाला असद्भूत व्यवहारनय है। ( नयचक्र/श्रुतभवन दीपक/25); (और भी देखें नय - V.4.1 व नय - V.4.2 )
नयचक्र बृहद्/223-225 अण्णेसिं अण्णगुणो भणइ असब्भूद तिविह ते दोवि। सज्जाइ इयर मिस्सो णायव्वो तिविहभेयजुदो।223।=अन्य द्रव्य के अन्य गुण कहना असद्भूत व्यवहारनय है। वह तीन प्रकार का है –स्वजाति, विजाति और मिश्र। ये तीनों भी द्रव्य गुण व पर्याय में परस्पर उपचार होने से तीन-तीन प्रकार के हो जाते हैं। (विशेष देखें उपचार - 5)।
असद्भूत व्यवहार नय की अन्य परिभाषाओं तथा नय के सम्बन्ध में विशेष जानकारी हेतु देखें नय - V.5