अप्रत्याख्यान क्रिया: Difference between revisions
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<span class="GRef"> सर्वार्थसिद्धि/6/5/321-323/11 </span> <span class="SanskritText">..... संयमघातिकर्मोदयवशादनिवृत्तिरप्रत्याख्यानक्रिया। ता एता: पंचक्रिया:। समुदिता: पंचविंशतिक्रिया:।</span>=<span class="HindiText">.....संयम का घात करने वाले कर्म के उदय से त्यागरूप परिणामों का न होना <strong>अप्रत्याख्यानक्रिया</strong> है। | <span class="GRef"> सर्वार्थसिद्धि/6/5/321-323/11 </span> <span class="SanskritText">..... संयमघातिकर्मोदयवशादनिवृत्तिरप्रत्याख्यानक्रिया। ता एता: पंचक्रिया:। समुदिता: पंचविंशतिक्रिया:।</span>=<span class="HindiText">.....संयम का घात करने वाले कर्म के उदय से त्यागरूप परिणामों का न होना <strong>अप्रत्याख्यानक्रिया</strong> है। (<span class="GRef"> राजवार्तिक/6/5/7/16 </span>)।<br /> | ||
<p class="HindiText"> - देंखें [[क्रिया#3.2 | क्रिया -3.2]]।</p> | <p class="HindiText"> - देंखें [[क्रिया#3.2 | क्रिया -3.2]]।</p> |
Revision as of 11:15, 25 December 2022
श्रावक की 25 क्रियाओं में से एक क्रिया
सर्वार्थसिद्धि/6/5/321-323/11 ..... संयमघातिकर्मोदयवशादनिवृत्तिरप्रत्याख्यानक्रिया। ता एता: पंचक्रिया:। समुदिता: पंचविंशतिक्रिया:।=.....संयम का घात करने वाले कर्म के उदय से त्यागरूप परिणामों का न होना अप्रत्याख्यानक्रिया है। ( राजवार्तिक/6/5/7/16 )।
- देंखें क्रिया -3.2।