शास्त्राभ्यास: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<span class="GRef"> प्रवचनसार मूल/86,232-237</span> <span class="PrakritText">जिणसत्थादो अट्ठे पच्चक्खादीहिं बुज्झदो णियमा। खीयदि मोहोवचयो तम्हा सत्थं समधिदव्वं।86। </span> | <span class="GRef"> प्रवचनसार मूल/86,232-237</span> <span class="PrakritText">जिणसत्थादो अट्ठे पच्चक्खादीहिं बुज्झदो णियमा। खीयदि मोहोवचयो तम्हा सत्थं समधिदव्वं।86। </span><span class="HindiText">जिन शास्त्र द्वारा प्रत्यक्षादि प्रमाणों से पदार्थों को जानने वाले के नियम से मोह समूह क्षय हो जाता है इसलिए शास्त्र का सम्यक् ‌प्रकार से अध्ययन करना चाहिए।86। अधिक जानकारी के लिए देखें [[ स्वाध्याय ]]</p> | ||
<noinclude> | <noinclude> |
Revision as of 21:38, 2 January 2023
प्रवचनसार मूल/86,232-237 जिणसत्थादो अट्ठे पच्चक्खादीहिं बुज्झदो णियमा। खीयदि मोहोवचयो तम्हा सत्थं समधिदव्वं।86।
जिन शास्त्र द्वारा प्रत्यक्षादि प्रमाणों से पदार्थों को जानने वाले के नियम से मोह समूह क्षय हो जाता है इसलिए शास्त्र का सम्यक् प्रकार से अध्ययन करना चाहिए।86। अधिक जानकारी के लिए देखें स्वाध्याय