विजयार्धकुमार: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) जंबूद्वीप भरतक्षेत्र के विजयार्ध पर्वत का पाँचवाँ कूट । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5. 27 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText"> (1) जंबूद्वीप भरतक्षेत्र के विजयार्ध पर्वत का पाँचवाँ कूट । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#27|हरिवंशपुराण - 5.27]] </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:21, 27 November 2023
(1) जंबूद्वीप भरतक्षेत्र के विजयार्ध पर्वत का पाँचवाँ कूट । हरिवंशपुराण - 5.27
(2) ऐरावतक्षेत्र के विजयार्ध पर्वत का पाँचवाँ कूट । हरिवंशपुराण - 5.111
(3) विजयार्ध पर्वत का अधिष्ठाता देव । इसने झारी, कलशजल, सिंहासन, छत्र और चमर भेंट करते हुए चक्रवर्ती भरतेश की अधीनता स्वीकार की थी । महापुराण 37.155, हरिवंशपुराण - 11.18-20