उज्ज्वलित: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> तीसरे नरक के सातवें प्रस्तार में सातवाँ इंद्रक बिल । इसकी चारों दिशाओं में छिहत्तर, विदिशाओं में बहत्तर और दोनों के मिलकर एक सौ अड़तालीस श्रेणिबद्ध बिल है ।<span class="GRef"> हरिवंशपुराण 4.81, 124</span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> तीसरे नरक के सातवें प्रस्तार में सातवाँ इंद्रक बिल । इसकी चारों दिशाओं में छिहत्तर, विदिशाओं में बहत्तर और दोनों के मिलकर एक सौ अड़तालीस श्रेणिबद्ध बिल है ।<span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_4#81|हरिवंशपुराण - 4.81]],[[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_4#124|हरिवंशपुराण - 4.124]]</span></p> | ||
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Latest revision as of 14:40, 27 November 2023
तीसरे नरक के सातवें प्रस्तार में सातवाँ इंद्रक बिल । इसकी चारों दिशाओं में छिहत्तर, विदिशाओं में बहत्तर और दोनों के मिलकर एक सौ अड़तालीस श्रेणिबद्ध बिल है । हरिवंशपुराण - 4.81,हरिवंशपुराण - 4.124