उज्झनशुद्धि: Difference between revisions
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<span class="GRef">मूलाचार/गाथा सं.</span> <p class=" PrakritText "> ते छिण्णणेहबंधा णिण्णेहा अप्पणो सरीरम्मि। ण करंति किंचि साहू परिसंठप्पं सरीरम्मि।836। </p> = | <span class="HindiText">लिंग व व्रत की 10 शुद्धियाँ है| यह उनमें से एक है|</span> | ||
<span class="GRef">(मूलाचार/गाथा सं.)</span> <p class=" PrakritText "> ते छिण्णणेहबंधा णिण्णेहा अप्पणो सरीरम्मि। ण करंति किंचि साहू परिसंठप्पं सरीरम्मि।836। </p> = | |||
<span class="HindiText"><strong> उज्झणशुद्धि</strong>-पुत्र-स्त्री आदि में जिनने प्रेमरूपी बंधन काट दिया है और अपने शरीर में भी ममता रहित ऐसे साधु शरीर में कुछ भी-स्नानादि संस्कार नहीं करते।836। </span></p> | <span class="HindiText"><strong> उज्झणशुद्धि</strong>-पुत्र-स्त्री आदि में जिनने प्रेमरूपी बंधन काट दिया है और अपने शरीर में भी ममता रहित ऐसे साधु शरीर में कुछ भी-स्नानादि संस्कार नहीं करते।836। </span></p> | ||
<p class="HindiText">देखें [[ शुद्धि ]]।</p> | <p class="HindiText">-अधिक जानकारी के लिए देखें [[ शुद्धि ]]।</p> | ||
Latest revision as of 12:22, 8 July 2023
लिंग व व्रत की 10 शुद्धियाँ है| यह उनमें से एक है|
(मूलाचार/गाथा सं.)
ते छिण्णणेहबंधा णिण्णेहा अप्पणो सरीरम्मि। ण करंति किंचि साहू परिसंठप्पं सरीरम्मि।836।
= उज्झणशुद्धि-पुत्र-स्त्री आदि में जिनने प्रेमरूपी बंधन काट दिया है और अपने शरीर में भी ममता रहित ऐसे साधु शरीर में कुछ भी-स्नानादि संस्कार नहीं करते।836।
-अधिक जानकारी के लिए देखें शुद्धि ।