मिहिरकुल: Difference between revisions
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<p class="HindiText">मगधदेश की राज्य वंशावली के अनुसार यह हूणवंश का अंतिम राजा था। तोरमाण का पुत्र था। इसने ई. 507 में राजा भानुगुप्त को परास्त करके गुप्तवंश को नष्टप्राय कर दिया था। यह बहुत अत्याचारी था, जिसके कारण ‘कल्की’ नाम से प्रसिद्ध हुआ। इसके अत्याचारों से तंग आकर गुप्त वंश की बिखरी हुई शक्ति एक बार पुनः संगठित हो गयी और राजा विष्णु यशोधर्म की अध्यक्षता में ई. 533 में (किन्हीं के मतानुसार ई. 528 में) उसने मिहिर कुल को परास्त करके भगा दिया। उसने भागकर कशमीर में शरण ली और ई. 540 में वहाँ ही उसकी मृत्यु हो गयी। समय–वी.नि. 1033-1085 (ई. 506-528)–(विशेष देखें [[ इतिहास#3.4 | इतिहास - 3.4]])।</p> | |||
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मगधदेश की राज्य वंशावली के अनुसार यह हूणवंश का अंतिम राजा था। तोरमाण का पुत्र था। इसने ई. 507 में राजा भानुगुप्त को परास्त करके गुप्तवंश को नष्टप्राय कर दिया था। यह बहुत अत्याचारी था, जिसके कारण ‘कल्की’ नाम से प्रसिद्ध हुआ। इसके अत्याचारों से तंग आकर गुप्त वंश की बिखरी हुई शक्ति एक बार पुनः संगठित हो गयी और राजा विष्णु यशोधर्म की अध्यक्षता में ई. 533 में (किन्हीं के मतानुसार ई. 528 में) उसने मिहिर कुल को परास्त करके भगा दिया। उसने भागकर कशमीर में शरण ली और ई. 540 में वहाँ ही उसकी मृत्यु हो गयी। समय–वी.नि. 1033-1085 (ई. 506-528)–(विशेष देखें इतिहास - 3.4)।