यक्षिला: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1">(1) तीर्थंकर अरनाथ के संघ की साठ हजार आर्यिकाओं में मुख्य आर्यिका । <span class="GRef"> महापुराण 65.43 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText">(1) तीर्थंकर अरनाथ के संघ की साठ हजार आर्यिकाओं में मुख्य आर्यिका । <span class="GRef"> महापुराण 65.43 </span></p> | ||
<p id="2">(2) यक्षदत्त की रानी । इसका अपर नाम यक्षदत्ता था । <span class="GRef"> महापुराण 71. 278-279, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 33.157-162, </span>देखें [[ यक्षदत्त#2 | यक्षदत्त - 2]]</p> | <p id="2" class="HindiText">(2) यक्षदत्त की रानी । इसका अपर नाम यक्षदत्ता था । <span class="GRef"> महापुराण 71. 278-279, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_33#157|हरिवंशपुराण - 33.157-162]], </span>देखें [[ यक्षदत्त#2 | यक्षदत्त - 2]]</p> | ||
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Latest revision as of 15:20, 27 November 2023
(1) तीर्थंकर अरनाथ के संघ की साठ हजार आर्यिकाओं में मुख्य आर्यिका । महापुराण 65.43
(2) यक्षदत्त की रानी । इसका अपर नाम यक्षदत्ता था । महापुराण 71. 278-279, हरिवंशपुराण - 33.157-162, देखें यक्षदत्त - 2