खरभाग: Difference between revisions
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Revision as of 21:40, 5 July 2020
== सिद्धांतकोष से ==
- अधोलोक के प्रारम्भ में स्थित पृथ्वी विविध प्रकार के रत्नों से युक्त है, इसलिए उसे चित्रा पृथिवी कहते हैं। चित्रा के तीन भाग हैं; उनमें से प्रथम भाग का नाम खरभाग है। विशेष–देखें रत्नप्रभा - 2
- अधोलोक में खर पंकादि पृथिवियों का अवस्थान–देखें भवन - 4।
पुराणकोष से
प्रथम पृथ्वी रत्नप्रभा के खर, पंक और अब्बहुल इन तीन भागों में प्रथम भाग । यह सोलह हजार योजन मोटा, नौ भवनवासियों का आवास स्थान और स्वयं जगमगाते हुए नाना प्रकार के भवनों से अलंकृत है । इसके सोलह पटल है― चित्रा, वज्रा, वैडूर्य, लोहितांक, मसारगल्व, गोमेद, प्रवाल, ज्योति, रस, अंजन अंजनमूल, अंग, स्फटिक, चन्द्राभ, वर्चस्क और बहुशिलाभय । ये पटल एक-एक हजार योजन मोटे हैं । हरिवंशपुराण 4.47-55