वृत्ति: Difference between revisions
From जैनकोष
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<li><span class="HindiText"> गोचरी आदि पाँच भिक्षा वृत्ति–देखें [[ भिक्षा#1 | भिक्षा - 1.7]]। </span></li> | <li><span class="HindiText"> गोचरी आदि पाँच भिक्षा वृत्ति–देखें [[ भिक्षा#1.7 | भिक्षा - 1.7]]। </span></li> | ||
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Revision as of 23:21, 9 March 2023
सिद्धांतकोष से
- न्यायविनिश्चय/ वृ./2/30/62/14 वृत्तिः वर्तनं समवायो। = वृत्ति अर्थात् वर्तन या समवाय। गुण गुणी की अभिन्नता।
- गोचरी आदि पाँच भिक्षा वृत्ति–देखें भिक्षा - 1.7।
पुराणकोष से
(1) वैण स्वर का एक भेद । हरिवंशपुराण 19.147
(2) आजीविका । वृषभदेव ने प्रजा को उपदेश देते हुए उसकी आजीविका के छ: साधन बताये थे । वे है― असि, मषि, कृषि, विद्या, वाणिज्य और शिल्प । महापुराण 16. 180-181, 242-245