चंद्रप्रभ: Difference between revisions
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आप जयसिंह सूरि के शिष्य थे। आपने प्रमेयरत्नकोष तथा दर्शनशुद्धि नामक न्याय विषयक ये दो ग्रन्थ लिखे हैं। समय ई.1102–(न्यायावतार/प.4/सतीशचन्द्र विद्याभूषण)। | |||
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Revision as of 21:41, 5 July 2020
आप जयसिंह सूरि के शिष्य थे। आपने प्रमेयरत्नकोष तथा दर्शनशुद्धि नामक न्याय विषयक ये दो ग्रन्थ लिखे हैं। समय ई.1102–(न्यायावतार/प.4/सतीशचन्द्र विद्याभूषण)।